Delhi विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के बीच यमुना नदी के पानी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच अब पानीपत की एक नई लड़ाई शुरू हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना में अचानक अमोनिया की मात्रा बढ़ने का दावा किया और हरियाणा सरकार पर पानी को जहरीला करने का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद, बीजेपी ने पलटवार किया और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज सहित कई नेताओं ने केजरीवाल पर झूठे आरोप लगाने और मानहानि का केस करने की बात की। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए यमुना में अमोनिया के खतरनाक स्तर का जिक्र किया।
हरियाणा-Delhi पानी विवाद का पुराना इतिहास
यह विवाद केवल वर्तमान चुनावी राजनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना के पानी को लेकर लंबे समय से विवाद जारी है। 1993 में दिल्ली और हरियाणा के बीच एक जल समझौता हुआ था, जिसके बाद मुनक नहर का निर्माण हुआ था। बावजूद इसके, पानी की आपूर्ति के मामले में दोनों राज्यों के बीच तनाव और विवाद लगातार बने रहे हैं।
मुनक नहर और इसके बाद के विवाद
मुनक नहर का निर्माण दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी वितरण के विवाद को सुलझाने की कोशिश थी, लेकिन 2003 से 2012 के बीच इस परियोजना के लिए जो समय निर्धारित किया गया था, वह पूरी तरह से हल नहीं हो सका। हरियाणा ने अपनी बढ़ती पानी की जरूरतों को सामने रखते हुए दिल्ली को निर्धारित पानी की आपूर्ति से इंकार किया, जिसके चलते विवाद बढ़ते गए। इस मुद्दे पर 2018 में अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और उन्हें तत्काल राहत मिली थी।
अमोनिया की मात्रा और जल बोर्ड की स्थिति
यमुना में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड ने कहा है कि सर्दियों के महीनों में यह मात्रा बढ़ जाती है, जो कभी-कभी 0.8 पीपीएम से भी अधिक हो जाती है। इस स्तर का पानी पीने के लिए खतरनाक हो सकता है। दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि हरियाणा के उद्योगों से निकलने वाला कचरा यमुना में छोड़ा जा रहा है, जिससे अमोनिया की मात्रा बढ़ रही है।
नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा
सीएम आतिशी ने यह भी कहा कि 7 पीपीएम अमोनिया का स्तर बेहद खतरनाक है और दिल्ली जल बोर्ड के पास इसे ठीक करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।