Ram Raksha Stotra: श्री राम रक्षा स्तोत्रम् हिंदी में, एक बार पाठ करें हर समस्या हो जाएगी दूर  - Trends Topic

Ram Raksha Stotra: श्री राम रक्षा स्तोत्रम् हिंदी में, एक बार पाठ करें हर समस्या हो जाएगी दूर 

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Ram Raksha Stotra: श्री राम रक्षा स्तोत्रम् हिंदी में पाठ करने के लिए यहाँ पर पूरा स्तोत्रम् आपको मिल जाएगा साथ है रक्षा स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें यह जानकारी भी आपको यहाँ मिल जाएगी। 

Ram Raksha Stotra

श्री राम रक्षा स्त्रोत भगवान श्री राम की स्तुति का सबसे सरल माध्यम है Ram Raksha Stotra का पाठ करने से आपके सभी दुखों को भगवान हर लेते हैं, आइए जानते हैं कैसे करें श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ, क्या है विधि और कैसे करें पाठ?

Ram Raksha Stotra

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श्री Ram Raksha Stotra का पाठ करने से भगवान श्री राम की कृपा तो मिलती ही है साथ ही भगवान के परम भक्त श्री हनुमान जी की भी कृपा आपको मिलेगी। 

सबसे पहले भगवान श्री गणेश का स्मरण करें इसके उपरांत हाथ में जल लेकर श्री राम रक्षा स्तोत्र विनियोग करें।  

| श्री गणेशाय नमः |

|| श्री राम रक्षा स्तोत्र विनियोग ||

अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य।  बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः।

विनियोग करने के बाद जल को धरती पर छोड़ते हुए भगवान श्री रामचंद्र का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।  

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम। वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम् नीरदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ।।

इसके उपरांत श्री राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करन प्रारंभ करें। 

|| श्री राम रक्षा स्तोत्रम् || ( Ram Raksha Stotra )

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । 

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ।। (1)

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । 

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ।। (2)

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्। 

स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ।। (3)

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्। 

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ।। (4)

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति। 

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ।। (5)

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः। 

स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ।। (6)

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित। 

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ।। (7)

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। 

उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ।। (8)

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः। 

पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ।। (9)

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत। 

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ।। (10)

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः। 

न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ।। (11)

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन। 

नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।। (12)

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्। 

यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ।। (13)

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। 

अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ।। (14)

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः। 

तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ।। (15)

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्। 

अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ।। (16)

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। 

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।। (17)

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। 

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।। (18)

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। 

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ।। (19)

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ। 

रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ।। (20)

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा। 

गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ।। (21)

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। 

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ।। (22)

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। 

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।। 23)

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। 

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ।। (24)

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। 

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ।।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं। 

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।। (25)

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं। 

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।। (26)

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। 

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।। (27)

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम। 

श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।। 

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। 

श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।। (28)

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि। 

श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि।।

श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि। 

श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ।। (29)

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः। 

स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु।

नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।। (30)

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज। 

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ।। (31)

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं। 

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ।। (32)

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। 

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।। (33)

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। 

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ।। (34)

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। 

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। (35)

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्। 

तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ।। (36)

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे। 

रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं। 

रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।। (37)

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। 

सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।। (38)

|| इति श्री राम रक्षा स्तोत्र समाप्त ||

श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ कब करें?

वैसे तो श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करना या श्रीराम की स्तुति का कोई विशेष समय या स्थान नहीं है भगवान श्रीराम की स्तुति हर समय की जा सकती है लेकिन कुछ ऐसे विशेष समय हैं जिनमें श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी।

श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए इसके पाठ करने से जातक भय से मुक्त हो जाता है, इसके अलावा श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ गुरुवार के दिन 45 बार करने से भगवान श्रीराम की विशेष कृपा प्राप्त होती है इसके साथ ही वर्ष की प्रत्येक नवरात्री को श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए नवरात्री के प्रथम दिन से पाठ का प्रारंभ करना चाहिए और नवरात्री के नौ दिनों तक इसका पाठ करना चाहिए, नवरात्री के समय श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने से माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने की विधि 

श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए सबसे पहले प्रातः उठकर नित्यकर्म और स्नान आदि करके घर के पूजा घर या श्रीराम जी के मंदिर में जाकर लाल रंग के आसान में बैठकर श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ शुरू करें सबसे पहले हाथ में जल लेकर विनियोग का पाठ करें इसके उपरांत जल को धरती पर छोड़कर श्रीराम चन्द्र का ध्यान करें इसके उपरांत श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ शुरू करें।

इसके साथ ही घर में श्रीराम रक्षा स्तोत्र का ऑडियो या वीडियो शुबह और शम के समय अवश्य चलाएँ जिससे श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् के पाठ से आपके घर में सकारात्मक उर्जा का प्रसार होता रहेगा।

श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लाभ 

यदि आपके जीवन में या परिवार आदि में भय बना हुआ है तो आपको श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए इसके अलावा यदि आपका न्यायालय में कोई मामला चल रहा है तो आपको 45 दिनों का श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए इसके साथ ही आप सुखमय जीवन की कामना को ध्यान में रखकर श्रीराम रक्षा स्तोत्रम का पाठ करें, श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है।

Disclaimer 

Ram Raksha Stotra से सम्बंधित यहाँ दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित हैं हम (trendstopic.in) किसी भी तरह से इसकी पुष्टि नहीं करते हैं, किसी भी प्रयोग आदि से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले लें। 

FAQ

Q. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने से क्या होता ह?

Ans. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है साथ ही महाबली हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है

Q. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ कब करें?

Ans. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ प्रतिदिन प्रात: के समय किया जा सकता है

Q. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

Ans. श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ दिन में एक बार जरुर करना चाहिए