Rakshabandhan Kab Hai 2023 में रक्षाबंधन कब है और जानिए शुभ मुहूर्त और क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का पावन त्यौहार
रक्षाबंधन कब है | Rakshabandhan Kab Hai
जैसा की आप सबको पता है कि रक्षा बंधन का त्यौहार आने वाला है और सबको इस त्यौहार का बहुत ही बेसबरी से इंतजार रहता है, खास कर बहनों को। वे अपने मायके आती है और अपने भाई से मिलती है, और कुछ समय अपने मायके में बिताती है तो उनको बहुत अच्छा लगता है।
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वैसे हमारे इंडिया में हर एक त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाते हैं, लेकिन भाई बहनों के बीच में कितना प्यार है ये दर्शाने वाला त्यौहार हमारा रक्षा बंधन का त्यौहार है।
यह त्यौहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन सुबह उठ कर नहा कर जल्दी से सभी लोग तैयार हो जाते हैं, इसके बाद भगवान की पूजा करके भगवान को पूजा वाली राखी चढ़ा कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। इसके बाद सभी बहनें अपनी अपनी थाली सजा कर अपने भाइयों को पूजा करती हैं, उनकी आरती उतारती हैं, उनका तिलक वंदन करती हैं और उनके हाथ की कलाई में रखी बांधती हैं।
और इसके साथ ही अपने भाइयों का मुंह मिठाईयों से भी भर देती हैं। भाई भी इसके बदले में अपनी अपनी बहन को उपहार देते हैं और साथ ही साथ उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
हमारे देश में हर एक त्यौहार मानने के पीछे का कारण हमारे इतिहास से मिलता है, अनेक भावनाएं हमारी हर एक त्यौहार से जुड़ी हुई है। वैसे ही रक्षा बंधन बनाने के एक्सपीछे भी हमारी एक खास वजह होती हैं। हम जो रखी बांधते है अपने भाई को कलाई में वो सिर्फ धागे में लगी मोती नहीं होती है वो हम बहनों का विश्वास होता है की हमारे भाई हमारी रक्षा पूरी उम्र करेगें, ये वो रक्षा सूत्र होता है जिसे बांध कर अपने भाइयों से हर बला को दूर कर देने की शक्ति होती है और हमारे भाइयों की लंबी उम्र की कामना भी हम बहनें हमेशा करती हैं।
ये भाई बहनों के प्यार वाला त्यौहार हर एक भाई बहन के लिए बहुत ही खास होता है और हर भाई बहन इस त्यौहार को अपने भाई बहन के लिए खास बना देते हैं।
कहते है की प्राचीन काल में जब कोई योद्धा युद्ध करने के लिए जाते थे। तो घर की महिलाएं उनका तिलक वंदन करके उनकी कलाई में रेशम का धागा बांधती थी, और उनका विश्वास होता था की कलाई में बंधा रेशम का धागा उनकी रक्षा करके उन्हें विजयी बनायेगा।
रक्षाबंधन का इतिहास | History of Rakshabandhan
असुर सम्राट राजा बलि भगवान विष्णु के बहुत ही बड़े भक्त थे, बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी, क्यूंकि भगवान विष्णु अब वैकुंठ पर नहीं रहते थे, ऐसी परिस्थिति में माता लक्ष्मी इस समस्या से परेशान होने लगी।
तब माता लक्ष्मी ने एक ब्राह्मण स्त्री का रूप लेकर राजा बलि के महल में रहने लगीं, और वहाँ उन्होंने राजा बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में बलि से कुछ देने को कहा, तब राजा बलि को ये नहीं पता था की वो स्त्री स्वयं माता लक्ष्मी हैं इसलिए उन्होंने माता लक्ष्मी से मनचाही चीज मांगने का अवसर दे दिया।
ये सुनकर माता लक्ष्मी ने राजा बलि से भगवान विष्णु को उनके साथ वापस वैकुंठ लौटाने का आग्रह किया, राजा बलि असुर कुल का होने के बाद भी अपने वचन के पक्के थे और धर्म कर्म को मानने वाले थे इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ लौटा दिया। इस कथा को रक्षाबंधन के त्यौहार के प्राचीनतम इतिहास से जोड़कर देखा जाता है।
इसके अलावा भी कथा पुराणों आदि में रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर अलग अलग कथा एवं कहानियाँ बताई जाती हैं जैसे, इन्द्रदेव की कहानी, भगवान कृष्ण और द्रौपधी की कहानी, संतोषी माँ की कहानी, यमराज और यमुना की कहानी आदि ऐसी कथाएँ रक्षाबंधन के त्यौहार से जुडी हुई हैं।
Rakshabandhan Kab Hai Shubh Muhurat
इस वर्ष रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 को रात्रि 09:01 से 31 अगस्त सुबह 07:05 तक रहेगा। परन्तु 31 अगस्त को सावन की पूर्णिमा सुबह 07: 05 मिनट तक है, और इस समय भद्रा काल नहीं है इस वजह से 31 अगस्त को बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती हैं।
Disclaimer
Rakshabandhan Kab Hai Shubh Muhurat से सम्बंधित यह लेख मान्यताओं और विभिन्न श्रोतों से ली गई जानकारी पर आधारित है, हम (trendstopic.in) किसी बात की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं करते हैं, किसी प्रयोग आदि से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले लें, धन्यवाद