दो साल के लंबे इंतजार के बाद, इस बार Republic Day परेड में पंजाब की झांकी की फिर से वापसी हो रही है। झांकी को सूफी संत बाबा शेख फरीद और पंजाब की समृद्ध संस्कृति को समर्पित किया गया है। इसमें प्राचीन पंजाब की झलक और रंग-बिरंगी सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया जाएगा।
झांकी में दिखेगा पंजाब का पारंपरिक वैभव
लोक संपर्क विभाग द्वारा तैयार इस झांकी में पंजाब के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्र जैसे ढोल और तूबी शामिल होंगे। साथ ही, खेती-बाड़ी के प्रतीक के रूप में बैलों की जोड़ी भी झांकी का हिस्सा होगी। लोक संपर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पंजाब का योगदान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में अद्वितीय रहा है। इसलिए झांकी में पारंपरिक खेती का दृश्य भी दिखाया गया है, जो किसानों और कृषि की अहमियत को उजागर करता है।
झांकी में बाबा शेख फरीद और पंजाबी संस्कृति का प्रदर्शन
झांकी में सूफी संत बाबा शेख फरीद को खास तौर पर शामिल किया गया है। बाबा फरीद को पंजाबी भाषा का पहला कवि माना जाता है। झांकी में उनकी पंक्तियों के साथ-साथ पंजाब की समृद्ध संस्कृति और संगीत को भी प्रदर्शित किया जाएगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद झांकी की तैयारी में दिलचस्पी लेते हुए, इसे और आकर्षक बनाने के लिए सुझाव दिए हैं।
पंजाब की झांकी को मिली मंजूरी, खास अंदाज में दिखेगा अलग रंग
पिछले दो वर्षों (2023 और 2024) में पंजाब की झांकी को परेड में शामिल नहीं किया गया था, जिससे राज्य ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उस दौरान बनाई गई झांकियों को पंजाब के विभिन्न जिलों में प्रदर्शित किया गया था। इस बार केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने झांकी को मंजूरी दे दी है, और अब झांकी को जोर-शोर से तैयार किया जा रहा है।
15 राज्यों की झांकियां होंगी शामिल
इस साल गणतंत्र दिवस परेड में कुल 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें पंजाब के अलावा हरियाणा, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों की झांकियां शामिल हैं।
पंजाब की झांकी इस बार परेड में अपनी समृद्ध संस्कृति, कृषि परंपरा और सूफी संत बाबा शेख फरीद की विरासत के साथ एक अलग पहचान बनाएगी। गणतंत्र दिवस पर इसे देखने के लिए दर्शकों में काफी उत्साह है।