Punjab और हरियाणा हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, पति से अलग रहने वाली महिलाओं को गर्भपात की स्वतंत्रता - Trends Topic

Punjab और हरियाणा हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, पति से अलग रहने वाली महिलाओं को गर्भपात की स्वतंत्रता

Punjab 12

Punjab और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए उन महिलाओं को राहत दी है जो अपने पति से अलग रह रही हैं और तलाक नहीं हुआ है। अब, इन महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए पति की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। यह फैसला जस्टिस कुलदीप तिवारी की बेंच ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।

महिला ने की थी याचिका दायर

एक विवाहित महिला ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए अनुरोध किया था कि उसे गर्भपात करने की अनुमति दी जाए, बिना पति की सहमति के। महिला ने बताया कि वह प्रेग्नेंसी के मेडिकल टर्मिनेशन के ट्राइम फ्रेम में है और उसकी परिस्थितियां उसे गर्भपात करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

दहेज प्रताड़ना का आरोप

महिला ने याचिका में यह भी बताया कि शादी के बाद उसे दहेज के लिए ससुराल पक्ष द्वारा प्रताड़ित किया गया। उसका पति भी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था। महिला का आरोप था कि उसका पति निजी वीडियो रिकॉर्डिंग करता था और उसे लगातार प्रताड़ित करता था। इसके बावजूद, महिला ने अपनी बहू और पत्नी की जिम्मेदारियां निभाई।

पुलिस में दर्ज कराई एफआईआर

शादी के डेढ़ महीने बाद महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता चला। उसने अपने पति से कहा कि वह फिलहाल बच्चा पालने की स्थिति में नहीं है, लेकिन ससुराल पक्ष की ओर से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना जारी रही। इसके बाद, महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया और मायके में रहने लगी। महिला ने सास, ससुर और पति के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई।

कोर्ट का फैसला: महिला को गर्भपात की अनुमति

महिला ने कोर्ट से अपील की कि अगर वह गर्भवती रहती है, तो उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। कोर्ट ने महिला की अपील को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि यदि महिला को बच्चे के जन्म के बाद मानसिक और शारीरिक ट्रॉमा का सामना करना पड़ेगा, तो उसे गर्भपात करने का अधिकार है।

जस्टिस तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि भले ही महिला विधवा या तलाकशुदा न हो, लेकिन उसने अपने पति से अलग रहने का निर्णय लिया है, इसलिए वह गर्भपात का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।

निर्णय: महिला को गर्भपात करने की अनुमति

आखिरकार, कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को 18 हफ्ते और पांच दिन की गर्भावस्था के बाद गर्भपात कराने की अनुमति दी। इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि महिलाओं को अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत के मामले में स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार है, खासकर जब वे शादी के बाद गंभीर प्रताड़ना या अन्य समस्याओं का सामना कर रही हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *