पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली निशानेबाज Manu Bhaker का नाम इस साल के प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार की संभावित सूची में न होने का दावा किया जा रहा है। इसे लेकर खेल जगत और राजनीतिक हलकों में नाराजगी जाहिर की जा रही है। इसी बीच, पहलवान और कांग्रेस नेता बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पर इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
बजरंग पूनिया का बयान
बजरंग पूनिया ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मनु भाकर भारत की अकेली खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीते हैं। क्या इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद मनु या उनके परिवार को अपने हक के लिए आवाज़ उठानी पड़ेगी?”
उन्होंने आगे लिखा,
“मनु, आप कुछ मत बोलना बहन। अगर आपने आवाज़ उठाई, तो ये सरकार और अधिकारी आपके करियर को खत्म करने तक जाएंगे। हम आपके एक पीढ़ी पहले के खिलाड़ी हैं। थोड़ी सी आवाज़ उठाई थी और सम्मानजनक संन्यास तक लेने के लिए तरसा दिया गया। अब बैन भुगत रहे हैं। लेकिन याद रखो, देश आपको बहुत प्यार करता है। जनता का सम्मान किसी भी सरकारी पुरस्कार से बड़ा है।”
‘हुकूमत के पुरस्कारों का कोई मतलब नहीं’
बजरंग ने पुरस्कार प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लिखा,
“वैसे भी ऐसी हुकूमत के हाथों मिले पुरस्कार का कोई मतलब नहीं, जो अपने टॉप खिलाड़ियों को पुरस्कृत करने के लिए चमचागिरी करवाए। मनु, तुम महान हो। तुम्हें इसके लिए किसी सरकारी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं।”
खेल मंत्रालय का बयान
मनु भाकर के नाम की उपेक्षा के आरोपों पर केंद्रीय खेल मंत्रालय ने सफाई दी है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है,
“अभी खेल रत्न के नाम तय नहीं हुए हैं। एक हफ्ते में पुरस्कारों की घोषणा होगी, और संभव है कि मनु का नाम सूची में शामिल हो।”
खेल जगत में आक्रोश
मनु भाकर जैसी प्रतिभावान खिलाड़ी का नाम सूची में न होना खेल जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए खेलप्रेमियों और समर्थकों का कहना है कि उन्हें सम्मानित करना भारत की जिम्मेदारी है।
आगामी सप्ताह में खेल रत्न पुरस्कारों की घोषणा होने के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि मनु भाकर को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है या नहीं।