Bathinda के गांव जिओंद में सोमवार को किसानों और पुलिस के बीच भारी टकराव हुआ, जिसमें एक डीएसपी की बाजू टूट गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रशासनिक अधिकारी गांव में जमीन की मुरब्बाबंदी के लिए निशानदेही करने पहुंचे थे, जिसका किसानों ने विरोध किया और पटवारियों व कानूनगो को बंदी बना लिया।
जब पुलिस बल ने अधिकारियों को छुड़ाने का प्रयास किया, तो किसानों ने पुलिस पर हमला कर दिया, जिससे डीएसपी राहुल भारद्वाज की बाजू टूट गई। इसके बाद पुलिस ने किसानों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया, और जवाब में किसानों ने भी पुलिस पर लाठियां चलाईं। हालांकि, लाठीचार्ज के दौरान दोनों पक्षों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
किसानों ने 30 जनवरी तक धरना जारी रखने का किया ऐलान
हमले के विरोध में प्रशासन की टीम ने अपना काम रोक दिया, जबकि किसानों ने 30 जनवरी तक गांव में पक्का धरना लगा दिया। किसानों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें उनकी जमीनों का मालिकाना हक नहीं दे रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि किसान उन जमीनों पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं, जिन पर किसी और का कब्जा है। फिलहाल गांव में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि प्रशासन और पुलिस की टीमें वापस लौट चुकी हैं।
पुलिस ने दो मामले दर्ज किए
पुलिस ने पटवारियों को बंदी बनाने और डीएसपी पर हमला करने के आरोप में दो मामलों की दर्ज की है, जिनमें कुछ ग्रामीण और कुछ यूनियन नेता नामजद किए गए हैं। मुरब्बाबंदी या चकबंदी का मतलब है कि किसी जमींदार की भूमि के विभिन्न स्थानों पर बंटे हुए टुकड़ों को एक स्थान पर इकट्ठा करना। इससे भूमि संबंधित कार्यों में आसानी होती है।
गांव जिओंद में आजादी के बाद से जमीन की मुरब्बाबंदी नहीं हो पाई थी। सोमवार को हाईकोर्ट के आदेश पर राजस्व विभाग के अधिकारी गांव में निशानदेही करने पहुंचे थे, और इस खबर के मिलने पर भारतीय किसान यूनियन उगराहां के नेता गांव में इकट्ठा हो गए थे |