राजबीर और उनका 14 साल का बेटा मंगलवार को Fatehabad से वैगनआर कार में हंसी खुशी अपने गांव बरवाला लौट रहे थे। रास्ते में सुबह करीब 11 बजे नंगथला के पास कार पेड़ से टकरा गई। हादसा होते ही कार में धमाके के साथ आग लग गई। खिड़कियां लॉक हो गई थीं। पिता किसी तरह बाहर निकला। आग की लपटों में घिरे 14 साल के बेटे दीपांशु की चीखें और चीत्कार सुनकर बदहवास पिता जिंदगी दांव पर लगाकर आग में कूद पड़ा, लेकिन बेटे को नहीं बचा पाया। उसका बेटा उसकी आंखों के आगे एक पल में ही जिंदा जल गया। इस दौरान राजबीर भी बुरी तरह से झुलस गया।
कार में जिंदा जले बच्चे के पिता राजबीर ने बताया कि वह उसका बेटा दीपांशु 11वीं कक्षा में पढ़ता था और स्कूल होनहार छात्र था। उसके साथ काम भी हाथ बंटाता था। मंगलवार सुबह उसके बेटे दीपांशु ने कहा कि पापा आप बरवाला जा रहे हो तो मैं भी दादा-दादी और बुआजी से मिलकर आऊंगा। आज स्कूल में नहीं जाऊंगा। उसे परिवार के लोगों से मिलने की बड़ी लालसा थी, लेकिन दादा-दादी व बुआ के पास बेटा पहुंचना तो दूर लाश भी नहीं पहुंची।
जब कार में आग लगी तो लपटों में घिरा बेटा चिल्ला रहा था पापा मैं जल गया बचाओ-बचाओ। वह कार की खिड़की खोलने के लिए अपनी जिन्दगी दांव पर लगाकर आग में कूदा, लेकिन खिड़की नहीं खुली। भागकर आए लोगों ने उसे झुलसी हालत में निकाल लिया। मगर बेटा नहीं बचा। उसका सपना बेटे को बड़ा अफसर बनाने का था जो एक पल में चकनाचूर हो गया। बेटे की मौत का मंजर उसकी आंखों आंखों के सामने घूम रहा है। राजबीर ने बताया कि बेटे ने सीट बेल्ट लगाई रखी थी, उसने सीट बेल्ट खोलने का काफी प्रयास किया, लेकिन सीट बेल्ट नहीं खुली। शायद सीट बेल्ट खुल जाती तो बेटे की जान बच सकती थी।
दीपांशु ने सुबह घर से चलने से पहले अपने मामा के लड़के डॉ. मनोज वर्मा से फोन पर कहा था कि भइया आज बाहर मत जाना मैं और पापा मिलने के लिए बरवाला आ रहे हैं। यह बताते हुए डॉ. मनोज वर्मा की आंखें भर आईं। उन्होंने रोते हुए बताया कि उनके आने का 12 बजे तक इंतजार किया, लेकिन फूफा और भैया दीपांशु नहीं आए। पता चला कि नंगथला गांव के समीप वैगनआर कार में आग लगने से पिता-बेटा झुलस गए हैं।
जब अग्रोहा मेडिकल कॉलेज जाकर देखा तो वे उसके फूफा और भाई दीपांशु थे। उनको जली हालत में देखकर दिल दहल गया। आज बरवाला व Fatehabad की भाटिया कॉलोनी में मातम छाया है। पूरा परिवार गमगीन है। मृतक दीपांशु की मां सुमन को अभी तक होश नहीं आया और बेटे की मौत का मंजर देख उनके पापा राजबीर का बुरा हाल है। मामले के आईओ रामजीलाल की कागजात तैयार करते हुए आंखों से आंसू गिरने लगे और कहा कि ऐसा दर्दनाक नहीं देखा। जिसे देख उसका दिल दहल गया।