Supreme Court: रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार - Trends Topic

Supreme Court: रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार

WhatsApp Image 2024 04 03 at 1.31.35 PM

SC: पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक के बावजूद उन्हें प्रसारित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दोनों की बिना शर्त माफी को ‘जुबानी दिखावा’ बताकर खारिज कर दिया।

कोर्ट ने दोटूक कहा कि आपने कोर्ट में दिए गए वचन का पालन नहीं किया और कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है, झूठी अंडरटेकिंग दी। आपने हर सीमा लांघी है। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को चेताया कि आपने झूठे साक्ष्य पेश किए और कुछ दस्तावेज बाद में जोडे, इसलिए आप पर जालसाजी के आरोप लगेंगे। सभी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। कोर्ट ने बाबा रामदेव को नए सिरे से हलफनामा दायर करने के लिए मोहलत दी है। कोर्ट ने 10 अप्रैल को अगली सुनवाई पर भी दोनों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

मालूम हो, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है। यही नहीं, 2020 में पतंजलि ने विज्ञापन दिया था कि उसने ऐसे उत्पाद विकसित किए हैं, जो कोविड को 100% ठीक कर सकते हैं। पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भी झूठा कैंपेन चलाया था

सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि कोविड के दौरान पतंजलि के झूठे दावों के खिलाफ केंद्र सरकार ने कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की? जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए आयुष विभाग के 42 पेज के हलफनामे पर कहा कि लगता है पतंजलि को लेकर सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि कोविड महामारी के दौरान आपकी ही समिति ने सिफारिश की थी

कि पतंजलि के उत्पादों में उसके दावों के समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं है, यह अन्य दवा के पूरक के रूप में काम करती है। केंद्र ने इस बात को प्रचारित करने के लिए क्या किया? जब मेहत ने कहा कि उसने पतंजलि को चेतावनी जारी की थी, तो जस्टिस कोहली ने कहा कि चेतावनी देना पर्याप्त नहीं था। अनुपालन न करने पर कठोर कार्रवाई की जानी थी। कोर्ट ने कार्रवाई के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार के विभाग को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *