Punjab की 42 नगर परिषदों और समितियों में चुनाव कराने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वार्डबंदी से जुड़े कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाए। सरकार की इस मांग पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस विकास सूरी पर आधारित खंडपीठ ने सरकार को इस मामले में 5 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है|
इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने जनहित याचिका में हाई कोर्ट को बताया कि पंजाब की 42 नगर परिषदों का कार्यकाल कई महीने पहले खत्म हो चुका है और कुछ का दो साल से ज्यादा समय हो चुका है. जिसके कारण सभी विकास कार्य ठप हो गए हैं, हाई कोर्ट से इन सभी क्षेत्रों में जल्द से जल्द चुनाव कराने का अनुरोध किया गया है |
याचिका के अनुसार राज्य की अधिकांश नगर परिषदों का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो चुका है. लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं. कोर्ट को बताया गया कि 1 अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने नगर परिषद चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी, जो 1 नवंबर 2023 को होनी थी. लेकिन आज तक चुनाव नहीं हुए. याचिका के मुताबिक, उन्होंने चुनाव कराने के लिए 5 जुलाई को सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन अभी तक उन्हें सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है. इसलिए अब उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से चुनाव कराने के निर्देश मांगने को मजबूर होना पड़ा है. संविधान के मुताबिक कार्यकाल खत्म होने से पहले नगर परिषद चुनाव कराना जरूरी है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा नगर निगम का चुनाव ही नहीं कराया. इस संबंध में एक अन्य याचिका भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। याचिका में कहा गया था कि उनके चुनाव पिछले साल जनवरी से लंबित हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि ये चुनाव जनवरी, 2023 में नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होने से पहले होने चाहिए, क्योंकि यह अनिवार्य है. इन चुनावों को न कराकर, राज्य ने लगभग एक साल तक मतदाताओं को जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थाओं में अपने प्रतिनिधियों को चुनने के उनके बहुमूल्य लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रखा है।