राष्ट्रीय बायोमेडिकल नियमों के उल्लंघन के आरोप में मोगा के निजी अस्पतालों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर पंजाब एवं Haryana हाईकोर्ट ने मोगा नगर निगम से बायोमेडिकल नियमों का रिकार्ड पेश करने को कहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर आदेश दिए हैं. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि रिहायशी इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की इजाजत क्यों दी जा रही है. कोर्ट ने सरकार को याचिकाकर्ता की सुरक्षा को लेकर उचित निर्णय लेने और अगली सुनवाई पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी आदेश दिया |
इस मामले में मोगा निवासी सुरेश सूद ने जनहित याचिका दायर कर बायो मेडिकल वेस्ट और नियम विरुद्ध कुकुरमुत्तों की तरह चल रहे निजी अस्पतालों का मामला कोर्ट में रखा है. याचिकाकर्ता का कहना था कि बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नियम बनाए गए हैं। इसका निपटारा इन नियमों के तहत करना अनिवार्य है |
पंजाब के मोगा में निजी अस्पतालों में इन नियमों की अनदेखी की जाती है और बायो-मेडिकल कचरे को वैसे ही छोड़ दिया जाता है. यह बायो-मेडिकल कचरा इतना खतरनाक है कि यह बड़े पैमाने पर बीमारियों का कारण बन सकता है। इस कचरे को फैलाने के कई तरीके हैं, जो गंभीर बीमारियाँ फैला सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि न केवल केंद्रीय स्तर पर तय नियमों का पालन किया जा रहा है, बल्कि एमसी और स्थानीय नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है. अधिकांश कार्यरत निजी अस्पतालों के पास एनओसी तक नहीं है. हाई कोर्ट ने पहले इस स्थिति पर हैरानी जताई थी और कहा था कि लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से इस तरह समझौता कैसे किया जा सकता है |