वीरवार को शाही शहर पटियाला ‘युद्ध का मैदान’ बना रहा। शहर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र Modi लोगों को संबोधित करते रहे और किसानों ने घेरा डाले रखा | पीएम Modi की रैली को सफल बनाने के लिए पंजाब पुलिस के अलावा अन्य सुरक्षा बलों ने भी पूरी ताकत लगाई रखी | हालांकि, पीएम Modi के बड़े कार्यक्रम की वजह से किसानों की पूरी कार्रवाई मीडिया में नहीं आ पाई जिसके बारे में आज कई तथ्य सामने आए हैं |
दरअसल, बीजेपी प्रणीत कौर के पक्ष में रैली को संबोधित करने आए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हजारों किसान पटियाला के बाहरी इलाके में हुंकार भरते रहे, लेकिन पुलिस की मजबूत बैरिकेडिंग ने उन्हें आसपास नहीं फटकने दिया| किसानों ने सड़कें जाम कर दीं और काले झंडों के साथ मोदी का विरोध किया|
इस बीच किसानों के खिलाफ टिप्पणी करने वाले फरीदकोट से बीजेपी उम्मीदवार हंस राज हंस भी किसानों के गुस्से का शिकार हो गए| किसानों ने हंस को संगरूर रोड स्थित पसियाना चौक में एक घंटे से अधिक समय तक घेरे रखा। पटियाला के एसएसपी वरुण शर्मा ने हिम्मत दिखाते हुए किसानों के बीच फंसी बीजेपी प्रत्याशी की कार को बाहर निकाला और वैकल्पिक रास्ते से रैली तक पहुंचाया. रमिंदर पटियाला के मुताबिक हंस राज हंस की कार की टक्कर से दलित नेता बिकर सिंह हथोआ घायल हो गए.
किसान यूनियन उगराहां ने प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के नेतृत्व में यहां सचिवालय के पास विरोध प्रदर्शन किया। घोषणा के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों ने पांच जगहों से रैली की ओर कूच किया, लेकिन पुलिस ने किसानों को नाकों पर रोक दिया. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) से जुड़े किसान नेता सुरजीत फूल, जगजीत दल्लेवाल और काका कोटड़ा को ढाबीगुजर्स से आते समय पसियाना चौक पर पुलिस ने घेर लिया।
किसान नेता रमिंदर सिंह के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा ने पटियाला से संगरूर, जुन्ना, सरहिंद, नाभा, पिहोवा और समाना सड़कों पर धरना दिया. सरहिंद रोड पर किसानों के कारण बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी वैकल्पिक रास्ते से रैली में पहुंचना पड़ा.
दूसरे बन्ने शंभू बॉर्डर पर 101 दिन से चल रहे धरने का नेतृत्व कर रहे सरवन पंधेर, मंजीत घुमना, जसविंदर लोंगोवाल, अभिमन्यु, मंजीत रॉय और अन्य को पुलिस ने ढेरेड़ी जट्टान टोल प्लाजा पर रोक दिया, जिसके कारण वे वहीं बैठ गए। ये टोल प्लाजा कई घंटों तक बंद रहा और नरेंद्र मोदी के जाने के बाद ही धरना खत्म हुआ. भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति की रैली में पहुंचने का प्रयास भी विफल रहा.