हमारे जिले में धान की फसल मंडियों में आनी शुरू हो गई है। इन मंडियों में धान की बहुत अधिक मात्रा आ रही है, जिसे क्विंटल में मापा जाता है। Ambala कैंट की बुहावामंडी में तीन लाख क्विंटल से अधिक धान आ चुका है, जिसमें से करीब दो लाख क्विंटल बिक चुका है। किसानों का कहना है कि धान में नमी होने के कारण उनसे अतिरिक्त पैसे लिए जा रहे हैं। लेकिन धान खरीदने वाले व्यक्ति का कहना है कि वे सरकार द्वारा तय नियमों का पालन कर रहे हैं। किसान सलिंदर सिंह का कहना है कि जब वे अपना चावल बेचते हैं, अगर वह बहुत गीला (17% से अधिक नमी) होता है, तो उन्हें नुकसान होता है।
लेकिन अगर वह सूखा (जैसे 12% नमी) होता है, तो उन्हें लगता है कि उन्हें अधिक पैसे मिलने चाहिए। उन्हें लगता है कि इस नमी नियम के कारण उनके साथ अन्याय हो रहा है। किसान अमरिंदर सिंह कहते हैं कि वे अपना चावल मंडी में लाते रहते हैं, लेकिन चूंकि वह अभी भी बहुत गीला है, इसलिए उन्हें उसे फिर से सुखाना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है। किसान संजीव ने बताया कि अगर उनकी फसल में नमी 17 से थोड़ी ज़्यादा है, तो उन्हें कुछ पैसे का नुकसान होगा. लेकिन अगर नमी 12 है, तो उन्हें कोई अतिरिक्त पैसे नहीं मिलेंगे. ऐसा लगता है कि मंडी के प्रभारी लोगों और फसल बेचने में मदद करने वाले लोगों के बीच कोई डील हो रही है.
चावल की कटाई का समय लगभग खत्म हो गया है. अब तक किसान अंबाला कैंट की मंडी में 312,000 बोरी चावल लेकर आ चुके हैं. इस साल उन्हें 360,000 बोरी चावल आने की उम्मीद है. कुछ किसानों का कहना है कि चावल में नमी की वजह से उनसे पैसे लिए जा रहे हैं, लेकिन मंडी के प्रभारी ने कहा कि यह सच नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर चावल में नमी का स्तर 17 है, तो भी वे इसे उचित मूल्य पर खरीद लेंगे.
अंबाला की बुहावा अनाज मंडी में धान नामक चावल की बड़ी मात्रा में आवक हुई है – लगभग 312,000 बोरी! लोगों ने पहले ही 279,000 बैग खरीद लिए हैं, और 194,000 बैग खरीदार ले जा चुके हैं। इसलिए, उम्मीद है कि बाकी चावल भी करीब एक हफ्ते में बाजार से उठा लिया जाएगा।