डिब्रूगढ़ जेल में बंद वारिस पंजाब संगठन के प्रधान अमृतपाल सिंह के साथी गुरी औजला व अन्य को High Court से राहत नहीं मिल पाई है। शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति विकास सूरी ने बिना कोई राहत आदेश जारी किए मामले की सुनवाई 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी. हाई कोर्ट में कार्य स्थगन के कारण उनकी ओर से मुकदमा चलाने के लिए उनके वकील भी मौजूद नहीं थे |
औजला और अन्य ने उन पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को गलत और अवैध बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया था कि पंजाब सरकार ने पंजाब में अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया था. इस अभियान के तहत अमृतपाल के साथियों को जमकर परेशान किया गया. इसी कड़ी के तहत याचिकाकर्ताओं को भी शिकार बनाया गया और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया| इस कार्रवाई के बाद उन्हें गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया |
याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई कानून की तय प्रक्रिया के तहत नहीं की गयी. ऐसे में यह पूरी तरह से अवैध है और इसे खारिज किया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने औजला के अलावा पंजाब सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर गुरमीत सिंह बुकनवाला, कुलवंत सिंह, पपलप्रीत, भगवंत सिंह और बसंत सिंह की इन याचिकाओं पर जवाब मांगा था| इस पर पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा कि इन सभी को तय कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है और एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी अवैध नहीं है| उन्होंने यह भी कहा कि ये सभी अमृतपाल सिंह के सहयोगी हैं और अलगाववादी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं |