पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने Lawrence Bishnoi इंटरव्यू मामले में जांच को लेकर डीजीपी प्रबोध कुमार पर भरोसा जताते हुए उन्हें केस की आगे की जांच जारी रखने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी प्रबोध कुमार ने भी इस जिम्मेदारी को स्वीकार कर लिया है।
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की कमेटी पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा गठित कमेटी पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि नौ महीने में कमेटी ने कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला, जबकि डीजीपी प्रबोध कुमार ने चार-पांच महीने में ही यह पता लगा लिया कि विवादित इंटरव्यू कहां और कब हुआ था। कोर्ट ने इस आधार पर डीजीपी प्रबोध कुमार को जांच जारी रखने का सुझाव दिया।
डीजीपी गौरव यादव के बयान पर आलोचना
हाईकोर्ट ने डीजीपी गौरव यादव के उस बयान पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि इंटरव्यू पंजाब में नहीं हुआ। कोर्ट ने पूछा कि किसी डीजीपी के लिए ऐसा बयान देना कैसे संभव है।
जांच के लिए प्रबोध कुमार को खुली छूट
हाईकोर्ट ने डीजीपी प्रबोध कुमार को जांच के लिए पूरी छूट देते हुए पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें हरसंभव सुरक्षा, स्टाफ और संसाधन मुहैया कराए जाएं। साथ ही, कोर्ट ने यह भी तय किया कि जांच के लिए डीजीपी को 1.5 लाख रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा।
एजीटीवी के एंगल से भी जांच का आदेश
हाईकोर्ट ने जांच के सभी पहलुओं को ध्यान में रखने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर इंटरव्यू में किसी मीडिया चैनल या अन्य एंगल की जांच की जरूरत हो, तो वह भी की जाए।
डीजीपी प्रबोध कुमार की सहमति
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल डीजीपी प्रबोध कुमार ने जांच जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है। हाईकोर्ट का यह आदेश इंटरव्यू मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।