kalki avatar bhavishya malika: उड़ीसा के प्रसिद्ध संत श्री अच्युतानंद जी ने अपनी भविष्यवाणियों के द्वारा कलयुग के समाप्त होने के संकेत दिए हैं, देखिए क्या हैं ये संकेत।
kalki avatar bhavishya malika | भविष्य मालिका के प्रमाण
भविष्य मालिका को लेकर हमें पूर्व में आपको बताया है की किस तरह उड़ीसा के प्रसिद्ध पंच सखा (पांच संत) जिनमें मुख्य रूप से भगवान जगन्नाथ के परम भक्त श्री अच्योदानंद जी ने 600 वर्ष पूर्व ही भगवान कल्कि के अवतार और कलयुग के अंत के बारे में लिख दिया था जो ताड़ के पत्तों में पोथियों के रूप में लिखित है।
कलयुग के समाप्त होने के विषय पर भगवान श्री जगन्नाथ जी के परम भक्त और प्रसिद्ध संत श्री अच्युतानंद जी ने कलयुग के अंत होने के विषय पर 600 वर्षों पूर्व ही भविष्यवाणी कर दी थी और उन्होंने कलयुग के अंत को लेकर निम्नलिखित संकेत बताए हैं जो की वर्तमान में घटित होते दिख रहे हैं आइए जानते हैं कौन कौन से संकेत हैं कलयुग के अंत के बारे में।
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अपनी पोथियों में श्री अच्युतानंद जी ने लिखा है की
“दिव्य सिंह अंके बाबू सरब देखिबु,
छाड़ि चका गलु बोली निश्चय जाणिबू
नर बालुत रुपरे आम्भे जनमिबू “
व्याख्या:- ये पंक्तियाँ उड़िया भाषा में लिखी गई हैं जिसका अर्थ है की जगन्नाथ क्षेत्र में महाराजा इंद्रद्युम्न की परंपरा के अनुसार, समय समय में अलग-अलग राजा जगन्नाथ के क्षेत्र के प्रभारी थे। जब चौथे राज्य दिव्यसिंह देव उपरोक्त वर्णित राजाओं के प्रतिनिधि के रूप में कार्यभार संभालेंगे, तो कलियुग के 5000 वर्ष बीत चुके होंगे। इससे महापुरुष अच्युतानन्द ने दो बातें सिद्ध की, एक ओर तो चौथे दिव्य सिंह देव राजा के रूप में पदभार संभालेंगे, दूसरी बात यह है कि 5000 वर्ष कलियुग के बीत चुके हैं।
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“दिव्य केशरी राजा होइब तेबे कलियुग सरिब
चतुर्थ दिब्य सिंह थिब से काले कलियुग थिब”
व्याख्या:- उड़ीसा के प्रसिद्ध संत अच्युतानंद ने इन पंक्तियों के माध्यम से बताया है कि जब उड़ीसा के श्रीक्षेत्र में राजा ‘दिव्य सिंह देव’ चतुर्थ शासन सम्हाल रहे होंगे, तब तक कलियुग का अंत हो चुका होगा एवं सतयुग की शुरुआत हो चुकी होगी, परंतु सतयुग का कहीं कोई भी प्रभाव दिखाई नहीं देगा।
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“पुरुषोत्तम देब राजान्क ठारु , उनबीन्स राजा हेबे सेठारु,
उनबीन्स राजा परे राजा नांहि आउ ,अकुली होइबे कुलकु बोहु “
व्याख्या:- इन पंक्तियों में उड़ीसा के प्रसिद्ध संत श्री जगन्नाथ दास जी ने लिखा है कि इस जगन्नाथ क्षेत्र के पहले राजा श्री पुरुषोत्तम देव होंगे। सबसे पहले राजा श्री पुरुषोत्तमदेव सहित 19 राजा मंदिर के शासन के लिए उत्तरदायी होंगे। वर्तमान समय में संतों की वाणी सत्य हो रही है और 19 वें राजा के रूप में श्री दिव्य सिंह देव चतुर्थ इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं और साथ ही महापुरुष श्रीजगन्नाथदास ने ये भी लिखा है कि 19 वें राजा श्री दिव्य सिंह देव चतुर्थ होंगे और उनका कोई पुत्र नहीं होगा जो की वर्तमान में स्पष्ट है।
“पेजनला फुटी तोर पडिब बिजुली,
से जुगे जिब की प्रभु नीलाचल छाड़ि ।”
व्याख्या:- इन पक्तियों के माध्यम से संतों ने बताया है कि जब श्रीजगन्नाथ मंदिर के रसोई घर पर आकासीय बिजली गिरेगी, तब कलियुग समाप्त हो चुका होगा और भगवान श्रीजगन्नाथ नीलांचल को छोड़कर मानव रूप धारण करेंगे। आपको जानकर आश्चर्य होगा पिछले दिनों श्रीजगन्नाथ मंदिर के रसोई घर पर बिजली गिरी थी। इससे यह कहा जा सकता है कि भगवान श्रीजगन्नाथ जी नीलांचल को छोड़कर मानव शरीर धारण कर चुके हैं।
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