चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि), Hisar और वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय (डब्ल्यूएसयू), ऑस्ट्रेलिया ने शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते पर हकृवि के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज और वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जॉर्ज विलियम्स ने नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए।
डुअल डिग्री प्रोग्राम से छात्रों को मिलेगा लाभ
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि इस समझौते का उद्देश्य शैक्षणिक अवसरों का विस्तार और छात्रों के लिए विश्व स्तरीय शिक्षा के दरवाजे खोलना है। इसके तहत दो नए डुअल डिग्री प्रोग्राम (3+1 और 3+1+1 मॉडल) शुरू किए गए हैं:
- स्नातक डिग्री (3+1 मॉडल):
- छात्र हकृवि में 3 साल का बीएससी (कृषि) अध्ययन करेंगे।
- चौथे वर्ष वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी करेंगे।
- छात्रों को दोनों विश्वविद्यालयों से स्नातक डिग्री प्राप्त होगी।
- पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री (3+1+1 मॉडल):
- छात्र हकृवि में 3 साल बीएससी (कृषि) की पढ़ाई करेंगे।
- इसके बाद डब्ल्यूएसयू में 2 साल का एमएससी (कृषि) कोर्स पूरा करेंगे।
- उन्हें दोनों संस्थानों से स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान की जाएगी।
अनुसंधान और रोजगार के नए आयाम
यह समझौता हकृवि और डब्ल्यूएसयू के बीच पहले से जारी शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को और मजबूत करेगा। इससे छात्रों को उन्नत अनुसंधान तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को सीखने का अवसर मिलेगा। डब्ल्यूएसयू भारत में अपना कैंपस खोलने की योजना बना रहा है, जिससे दोनों संस्थानों के बीच सहयोग और भी गहरा होगा।
हकृवि के छात्र पहले ही वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय में उच्च प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे दोनों विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा को बल मिला है। यह नया समझौता छात्रों को वैश्विक मानकों के अनुसार शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
उत्कृष्टता की ओर एक कदम
यह कार्यक्रम दोनों विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की गहराई और साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। यह विद्यार्थियों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर अपनी जगह बनाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
समझौते से अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को उन्नत तकनीकों के साथ अपने प्रोजेक्ट्स को बेहतर ढंग से पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही, उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।