पंजाब-हरियाणा सीमा पर 38 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के मामले में Supreme Court ने सुनवाई की। कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है।
कोर्ट ने कहा कि जानबूझकर स्थिति को खराब करने की कोशिश की जा रही है और यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट ने कभी भी दल्लेवाल से व्रत तोड़ने के लिए नहीं कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, “आपका रवैया समाधानकारी नहीं है।” साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ तथाकथित किसान नेता गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया कि दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के आदेश की अनुपालना पर रिपोर्ट पेश की जाए। साथ ही, कोर्ट ने 13 जनवरी को फिर से सुनवाई की तारीख तय की और कहा कि इस दिन दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के आदेश का पालन न करने पर अवमानना याचिका पर भी सुनवाई होगी। इसके साथ ही, शंभू बॉर्डर खोलने के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा दायर याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी।
सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि दल्लेवाल के लिए उनकी मेडिकल टीम मौके पर मौजूद है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मीडिया जानबूझकर स्थिति को खराब करने की कोशिश कर रहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या पंजाब सरकार ने किसानों को यह समझाने की कोशिश की कि एक कमेटी उनकी मदद के लिए बनाई गई है।
पंजाब के एडवोकेट जनरल ने कहा कि वे स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए कुछ और समय चाहिए। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि यदि अधिकारी मौके पर हैं, तो हमारा संदेश उन तक पहुंच गया होगा।
इससे पहले, 30 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तीन दिन का समय दिया था। इस बीच पंजाब सरकार ने यह जानकारी दी थी कि एक मध्यस्थ ने यह सुझाव दिया है कि यदि केंद्र हस्तक्षेप करता है, तो दल्लेवाल बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की समय बढ़ाने की अर्जी स्वीकार कर ली थी।