Haryana में मधुबन पुलिस अकादमी को लंबे समय तक एक अजीब मिथक से जोड़ा गया। कहा जाता था कि जो भी मुख्यमंत्री इस अकादमी में गया, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सका। इस मान्यता के चलते कई नेताओं ने यहां जाने से परहेज किया।
मिथक की शुरुआत
मधुबन पुलिस अकादमी की स्थापना 1976 में हुई। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता ने 21 मार्च 1976 को इस अकादमी का दौरा किया। इसके कुछ ही समय बाद, 30 अप्रैल 1977 को उनकी सरकार गिर गई और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। बाद में जब वे 1990 में फिर मुख्यमंत्री बने, तब भी उनका कार्यकाल लंबा नहीं चला और उन्होंने जुलाई 1990 में इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद भी यह सिलसिला जारी रहा।
- 1986: मुख्यमंत्री बंसीलाल अकादमी पहुंचे, लेकिन 1987 में उनकी सरकार गिर गई।
- 1991: जनता दल के मुख्यमंत्री हुकम सिंह 2 मार्च को पहुंचे और 21 मार्च को सत्ता से बाहर हो गए।
- 2001: मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला अकादमी गए और 2005 में उनकी सरकार चली गई।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बचाव
मिथक के डर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने 10 साल के कार्यकाल (2005-2014) में एक बार भी मधुबन पुलिस अकादमी का दौरा नहीं किया।
मनोहर लाल ने बदला मिथक
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मिथक को चुनौती दी।
- 27 नवंबर 2014 को वह घरौंडा में एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने आए और उनका हेलीकॉप्टर अकादमी के मैदान में उतरा।
- 14 जनवरी 2018 को उन्होंने आधिकारिक तौर पर मधुबन पुलिस अकादमी का दौरा किया। इसके बाद, 2019 में भी वह यहां पहुंचे।
नायब सिंह सैनी ने आगे बढ़ाई परंपरा
मनोहर लाल के बाद, 2025 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मिथक को पूरी तरह से तोड़ते हुए मधुबन पुलिस अकादमी में एक महत्वपूर्ण बैठक की। 17 जनवरी को उन्होंने उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक कर साबित किया कि पुराने मिथक अब कोई मायने नहीं रखते।