हरियाणा के Panipat जिले में एक मार्मिक घटना सामने आई है, जहां 84 वर्षीय अमरजीत ने अपना जीवन परिवार के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन अंत समय में उन्हें अकेलेपन और परिवार के तिरस्कार का सामना करना पड़ा। अपनी पांच से आठ एकड़ जमीन और मॉडल टाउन स्थित कोठी बेचकर अमरजीत ने बेटी, बहन और पत्नी को करोड़ों रुपये दिए। इसके बाद परिवार ने उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ दिया।
परिवार ने मुंह मोड़ा, समाजसेवियों ने सहारा दिया
परिवार की बेरुखी के बाद अमरजीत को वृद्धाश्रम में छोड़ दिया गया। वहां बीमार होने पर आश्रम के प्रतिनिधियों ने उन्हें जन सेवा दल के “अपना आशियाना” में भेज दिया। दो साल तक जन सेवा दल ने उनका ख्याल रखा। 15 जनवरी को अमरजीत का निधन हो गया। चार दिनों तक उनका शव नागरिक अस्पताल के शवगृह में अंतिम संस्कार का इंतजार करता रहा। जब उनकी बेटी, पत्नी और बहनों को सूचना दी गई, तो उन्होंने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया।
जन सेवा दल के सदस्यों ने मानवीयता की मिसाल पेश करते हुए असंध रोड स्थित शिवपुरी में हिन्दू रीति-रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार किया।
जमीन बेची, परिवार को समर्पित किया जीवन
अमरजीत के पास अज्जीजुलापुर गांव में पांच से आठ एकड़ जमीन और मॉडल टाउन में एक कोठी थी। उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर बेटी को पढ़ाया और उसकी शादी अच्छे परिवार में करवाई। उनकी पत्नी बेटी के साथ उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में रहने चली गईं। उनकी एक बहन अमेरिका और दूसरी दिल्ली में रहने लगीं। अमरजीत को अकेला छोड़ दिया गया।
जन सेवा दल के महासचिव चमन गुलाटी ने बताया कि अमरजीत ने 15 अगस्त को खुशी में डांस किया था और अपनी जिंदगी की कहानी साझा की थी। लेकिन अंत समय में उनके परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया।
“अपना आशियाना” ने निभाई परिवार की भूमिका
चमन गुलाटी ने कहा, “अगर अमरजीत के पास पैसे होते तो उनका परिवार विदेश से भी आ जाता। लेकिन जब उनके पास कुछ नहीं बचा, तो परिवार ने मुंह मोड़ लिया।” जन सेवा दल ने अमरजीत की सेवा कर यह साबित किया कि इंसानियत अब भी जिंदा है।
संदेश: पारिवारिक मूल्यों की अहमियत
अमरजीत की कहानी हमारे समाज के लिए एक आईना है, जो यह दिखाती है कि कैसे पैसों की चमक रिश्तों की अहमियत को धुंधला कर सकती है। जन सेवा दल जैसे संगठन ऐसे मुश्किल समय में सहारा बनते हैं, जो मानवता की असली मिसाल हैं।