Karnal: भाजपा बड़ी जीत तो कांग्रेस कड़ी टक्कर मान रही - Trends Topic

Karnal: भाजपा बड़ी जीत तो कांग्रेस कड़ी टक्कर मान रही

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Karnal लोकसभा सीट पर प्रदेश की निगाह लगी है, क्योंकि साढ़े 9 साल सीएम रहे मनोहर लाल यहां बतौर प्रत्याशी मैदान में हैं। प्रचार के दौरान भाजपा दावा कर रही है कि यहां जीत का अंतर देश में नंबर एक पर लाना है। 2019 में संजय भाटिया साढ़े 6 लाख से अधिक वोटों से जीते थे। ‘बड़े दावे’ का सच तो 4 जून को नतीजों वाले दिन ही पता चलेगा, लेकिन भाजपा यहां प्रचार में कसर नहीं छोड़ रही।

पार्टी कार्यालय के मुताबिक 84 नेता 9 हलकों में छोटे-बड़े 32 सौ से ज्यादा कार्यक्रम कर चुके हैं। सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने रैली की। एक दिन पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा आए थे। मंगलवार को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी आएंगे, जबकि राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा चक्कर काट चुके हैं। वहीं, कांग्रेस के 30 वर्षीय प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे नेताओं में सबसे बड़ा चेहरा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा हैं।

करनाल लोकसभा सीट पर प्रचार का जोर इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि करनाल हलके से सीएम नायब सैनी भी विधानसभा में जाने के लिए उपचुनाव लड़ रहे हैं। सीएम व मिसेज सीएम के करीब 800 कार्यक्रम हुए हैं। प्रचार का इतना जोर लगाने के बावजूद एकतरफा जैसा कुछ नहीं। सत्ता के प्रति नाराजगी रखने वाले मतदाताओं से कांग्रेस को आस है, खासकर ग्रामीण इलाकों से। पूर्व सरपंचों के नमक लोटा डालने की तस्वीर सामने आने के बाद मनोहर लाल ने सरपंचों के साथ दो सम्मेलन किए।

सिख वोटरों के लिए मनजिंदर सिंह सिरसा को बुलाया। सीएम नायब सिंह सैनी अचानक से पूर्व मेयर अवनीत कौर के घर पहुंच गए। संसदीय क्षेत्र के १ में पानीपत हलकों में पानीपत शहर व करनाल सीटें शहरी हैं। पानीपत शहर की पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी और करनाल के डिप्टी मेयर रहे मनोज वधवा को कांग्रेस अपने पाले में लाई है। ब्राह्मण व पंजाबी वोटर अहम भूमिका निभाते हैं।

भाजपा ने हरियाणा जनचेतना पार्टी के प्रमुख पूर्व मंत्री विनोद शर्मा व सांसद बेटे कार्तिकेय शर्मा के कार्यक्रम करवाए। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए कुलदीप शर्मा अभी ज्यादा नहीं दिखे हैं। करनाल शहरी एरिया में कांग्रेस के झंडे कम ही नजर आ रहे हैं। शहर की भरपाई कांग्रेस नीलोखेड़ी, असंध और घरौंडा से पूरी करने की उम्मीद लगा रही है। मुस्लिम बाहुल्य बापौली में कांग्रेस ठीक दिख रही है। समालखा में तो गुर्जर वोटर निर्णायक हैं ही, पूरे संसदीय क्षेत्र में गुर्जरों की उपस्थिति है।

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