Bhartiya Adivasi: 9 अगस्त का दिन विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है इसी विशेष दिन पर भारतीय आदिवासियों पर विशेष जानकारी जो आपको जानना चाहिए।
भारतीय आदिवासी (Bhartiya Adivasi)
बहुत से लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार आदिवासी लोग कौन हैं और इस प्रश्न के जवाब में अलग अलग व्यक्तियों की अपनी अलग अलग धारणाएं हैं। आज हम इस लेख में आदिवासियों के बारे में ही बताने वाले हैं।
आदिवासी अपने आप में एक गौरवशाली शब्द है। आदिवासी ऐसे लोग होते हैं जिन्होंने अपनी पारंपरिक संस्कृति को बचाए रखा। हमेशा इस स्वतंत्रत और स्वाभिमानी रहे, जिन्होंने देश में संस्कृति के बीज बोए। ये आदिवासी ही थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता का बीज बोया।
आज हम आदिवासियों के बारे में जानते हैं। हम जानेगे की आदिवासी कौन है? प्रमुख आदिवासी जन समूह आदिवासी भाषा, आदिवासी परंपरा व संस्कृति आदिवासियों की समस्या और निवारण आदि।
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भारत में आदिवासी की जीवनशैली और जनसंख्या (Bhartiya Adivasi)
आदिवासी शब्द, दो शब्दों से मिलकर बना है एक आदि और दूसरा वासी। इन शब्दों का अर्थ आदि काल से निवास करने वाले (मूल निवासी) होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% करीब 10 करोड़ लोग आदिवासी हैं।
आदिवासी लोग प्रकृति को भगवान मानते हैं, प्रकृति की पूजा करते हैं। आदिवासी प्रकृति में पाए जाने वाले जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, जंगल नहर और खेतों की पूजा करते हैं और प्रकृति को अपनी माँ मानते हैं। आदिवासी प्रकृति से उतनी ही चीजें लेते हैं जितनी उन्हें आवश्यकता होती है। आदिवासियों को जनजाति भी कहते हैं।
प्रमुख आदिवासी जन समूह भारत में करीब 461 जनजातियां पाई जाती हैं जिनकी कई उपजातियां भी होती है। मोटे तौर पर हम अधिक जनसंख्या वाली जनजातियों के बारे में जानेगे।
भारत की प्रमुख आदिवासी जनजातियाँ (Bhartiya Adivasi)
गौंड:- गौंड भारत की सबसे बड़ी जनजाति है। ये जनजाति पांचवीं से छठी शताब्दी के दौरान गोदावरी के तट से होकर मध्य भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में फैल गई। गोंड जनजाति गोंडी भाषा बोलते हैं जो कि तेलगू, कन्नड़, तमिल आदि से संबंधित गौंड जनसंख्या के मामले में प्रथम स्थान पर हैं। इनकी संख्या 4,करोड़ के लगभग है।
15वीं से 17वीं शताब्दी के बीज गोंडवाना में अनेक राज गोंड राजवंश शो का दृढ़ और सफल शासन स्थापित था। गौंडो का अपना एक प्रदेश था, जिसे गोंडवाना कहा जाता था। गोंड आदिवासियों की संस्कृति बेहद ही निराली है, उन्हें अपनी संस्कृति और रीती रिवाज पर गर्व है।
गोंड जनजाति के प्रमुख व्यक्तियों पर रानी दुर्गावती, जिन्होंने अकबर के खिलाफ़ युद्ध किया। शंकर शाह जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया था, तब गौंडवाना के राजा शंकर शाह और उनके बेटे को तोप के मुँह में बांध कर उड़ा दिया। गोंडवाना में कई राजा हुए।
संथाल जनजाति:- संथाल अपने आप में एक स्वतंत्र जनजाति है। इस जनजाति के लोग संताली भाषा बोलते हैं। संथाल जनजाति एक ऐसी जनजाति जिसमें चाहे लड़के का जन्म हो अथवा लड़की का, दोनों को ही सम्मान की नजरों से देखा जाता है। सभी लोगों को स्वतंत्रता होती है। सभी लोग पढ़ लिख सकते हैं।
महिलाओं को विशेष सम्मान दिया जाता है उन्हें। परदा प्रथा और दहेज प्रथा की चंगुल से आजादी मिली होती है। सभी लोग शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, वे इच्छित रूप से सज धज कर रह सकते हैं। वे नौकरी, मेहनत, मजदूरी इच्छित कार्य कर सकते हैं।
संथाली जनजाति के ही लोग थे जिन्होंने भारत की आज़ादी का बीज बोया था। संथालों ने 1855 में अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह किया। साथ ही साथ कई अन्य आदिवासी जन समूह ने भी 1857 के पहले ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ विद्रोह का झंडा गाड़ दिया था।
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भील जनजाति:- भील जनजाति का इतिहास बेहद ही गौरवशाली रहा है। भील जनजाति के पास अपनी संस्कृति, रीती, रिवाज, परम्पराएं और भाषा हैं। ये जनजाति स्वतंत्रता प्रिय रही है। इन्होंने कभी भी बाहरी सत्ता की गुलामी नहीं करी। ये जनजाति भगवान शिव की आराधना करती है। साथ ही साथ भील जनजाति प्रकृति पूजक रही है।
भीलों की आबादी मध्यप्रदेश में सर्वाधिक है, फिर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में है। भीलों का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है। एक समय यह जनजाति मिस्र से लेकर श्रीलंका तक फैली थी, जिन्होंने पाकिस्तान, भारत, हिमालय क्षेत्र, नेपाल, बंगाल और श्रीलंका में शासन स्थापित किया। भीलों ने विश्व प्रसिद्ध गवरी या राई, घूमर, पिथौरा पेंटिंग और भैरवगढ़ की विश्व प्रसिद्ध साड़ियों का विकास किया है।
भील युद्ध के मैदान में बड़े ही चतुर थे भीलों ने हल्दीघाटी युद्ध, खानवा का युद्ध, अरबों के खिलाफ़, मुगलों के खिलाफ़, और ब्रिटीशों खिलाफ़ कई युद्ध लड़े और जीत के झंडे भी फहराए।
अहोम जनजाति:- अहोम जनजाति मौजूदा म्यांमार से आकर 13 वीं सदी में ब्रह्मपुत्र घाटी में आ वसे उन्होंने भुइया, भूस्वामी लोगों की राजनीतिक व्यवस्था का दमन करके नए राज्य की स्थापना की अहोमनो ने हिबडा राज्य बनाया। उन्होंने 1530 के दशक में ही आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया। 1660 तक आते आते वे उच्च स्त्री बारूद और तोपों का निर्माण करने में सक्षम हो गए थे।
भारतीय आदिवासियों का इतिहास (Bhartiya Adivasi)
इतिहासकारों ने आदिवासियों के बारे में बेहद कम ही लिखा है और आदिवासियों ने लिखित परंपरा शायद नहीं अपनाई या फिर उनके लिखित दस्तावेज़ों को खत्म कर दिया गया और आदिवासियों में मौखिक परंपरा रही है। उनके गीत, संगीत और परंपरा में उनका इतिहास छुपा है जिसे इतिहासकार और अन्य शोधकर्ता आदिवासी इतिहास को सभी के सामने ला रहे हैं।
आपको बता दें कि सच में भी आदिवासियों का इतिहास बेहद ज्यादा गौरवशाली रहा है। ये ऐसे लोग हुए जो हस्ते हस्ते सर कटा सकते हैं लेकिन कभी झुकाते नहीं है। ये इतिहास बताता है, आदिवासियों ने कई साम्राज्य स्थापित किए, जिन पर बाहरी आक्रमणकारियों ने आक्रमण किया। आदिवासियों ने देश में समानता और स्वतंत्रता बनाए रखा।
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भारत के प्रमुख आदिवासी व्यक्ति (Bhartiya Adivasi)
बिरसा मुंडा:- बिरसा मुंडा ने बहुत ही कम उम्र में ब्रिटिश शासन का विरोध किया। उन्होंने हमारा देश हमारा राज्य का नारा दिया। बिरसा मुंडा को झारखंड, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भगवान की तरह पूजा जाता है।
सत्या विल।
तात्या भील:- तात्या भील मध्यप्रदेश के खंडवा के रहने वाले थे। भील प्रमुख तात्या भील ने अंग्रेजों के खिलाफ़ कई विद्रोह किए। उन्हें इंडियन रॉबिनहुड कहा जाता है। उन्होंने मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के भील और अन्य लोगों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ़ आंदोलन किये।
कुंवर नारायण सिंह:- कुंवर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ के एक जमींदार थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ बगावत कर दी। तब अंग्रेजों ने वीर कुंवर सिंह नारायण को नगर के बीच चौराहे पर लटका कर मौत दी चील कौवे उनके शरीर को नोंच नोंचकर खा गए।
मोतीलाल तेजावत:- मोतीलाल तेजावत ने भीलों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह किया। मानगढ़ आंदोलन में गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत की अगुवाई में आंदोलन हुआ, जिसमें 1500 से भी ज्यादा भील मारे गए।
तिलक मांझी:- तिलक मांझी ने ब्रिटिश खिलाफ़ पहली लड़ाई लड़ी थी। ये एक लोकप्रिय संथाल थे। अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ़ उन्होंने पहली आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
गुंडा धुर:- गुंडाधुर आजादी की जंग में छत्तीसगढ़ के ऐसे महानायक थे जिनके नाम से ही अंग्रेजों की रूह कांप जाती थी, उन्होंने अपने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया।
भारतीय आदिवासी की समस्याएँ और निवारण (Bhartiya Adivasi)
Bhartiya Adivasi हमेशा से ही प्रकृति को ही भगवान मानते आए हैं। प्रकृति माँ है के विचारों के साथ ही साथ आदिवासियों में पुरुषों और महिलाओं को एक समान अधिकार प्राप्त हैं। लेकिन जैसे जैसे वे बाहरी लोगों के संपर्क में आये उनसे जल, जंगल, जमीन के अधिकार छीने गए।
आदिवासी भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है। आदिवासी सम्मान के हकदार हैं। आदिवासियों के हितों की रक्षा में ही पूरे विश्व का फायदा है, अन्यथा आधुनिक मानव केवल अपने स्वार्थ और लालच के कारण हमारी इस खूबसूरत धरती को उजाड़ता जा रहा है। आदिवासियों को शिक्षित करना, उनके अधिकारों की सुरक्षा करना, रोजगार देना, आदिवासी क्षेत्रों से प्राप्त किए किसी प्रकार के कच्चे माल का उचित दाम देना बेहद जरूरी है।
Bhartiya Adivasi के समबन्ध में अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो देखें
Disclaimer
आशा है विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर Bhartiya Adivasi से सम्बंधित यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यह लेख विभिन्न श्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखा गया है जिसमें त्रुटी की संभवना निहित है यदि आपको लगता है की कहीं कोई त्रुटी है तो कृपया हमें सूचित करें, धन्यवाद
FAQ
Q. आदिवासी क्या खाना खाते हैं?
Ans. Bhartiya Adivasi सामान्य तौर पर दाल, चावल, सब्जी, मांस आदि खाते हैं तथा आदिवासी समाज ज्यादातर जंगलों के आसपास रहता है जिससे जंगली फल, जड़ी बूटी आदि भी उनके भोजन का हिस्सा हैं
Q. आदिवासियों की कौन सी भासा है?
Ans. Bhartiya Adivasi की बात करें तो अलग अलग क्षेत्रों में इनकी अपनी अलग अलग भाषा है जैसे गौंडी, द्रविण, आस्ट्रिक, भीली आदि
Q. आदिवासी क्या पहनते हैं?
Ans. Bhartiya Adivasi अपने रीतिरिवाज और मान्यताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के वश्त्र पहनते हैं
Q. आज के आदिवासी कैसे हैं?
Ans. Bhartiya Adivasi की बात करें तो आज के आदिवासी अपनी मान्यताओं और परम्पराओं के साथ साथ मुख्य धारा में भी अपना पूर्ण सहयोग दे रहे हैं उदाहरण के तौर पर भारत की वर्तमान राष्ट्रपति आदिवासी समाज से ही हैं
Q. आदिवासी कैसे रहते हैं?
Ans. Bhartiya Adivasi की बात करें तो सामान्यतया आदिवासी जंगलों में और जंगलों के आसपास रहते हैं जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है लेकिन समयानुसार इनका परिवेस बादल रहा है, शिक्षित होकर ये मुख्य धारा में भी पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहे हैं
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