एक ऐसा राजपूत जिसने तिहाड़ से कंधार तक सबको हिला कर रख दिया, इनके बारे में आपको जानना चाहिए
शेरसिंह राणा उर्फ़ पंकज सिंह का जन्म 17 मई 1976 में तबके उत्तर प्रदेश यानी आज के उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था।
फूलन देवी ने बेहमई गांव में ही 22 राजपुतों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी, जिसके बाद उसने आत्मसमर्पण किया और 11 साल जेल में रहकर बाहर आई
25 जुलाई 2001 को Sher Singh Rana फूलन देवी से मिलने आया और फिर घर के गेट पर फूलन देवी को गोली मार दी।
फूलन देवी की हत्या के बाद राणा ने कहा था कि उसने बेहमई कांड में मरे अपने राजपूत भाइयों का बदला लिया है।
फूलन देवी की हत्या के बाद राणा ने आत्मसमर्पण कर दिया जिसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया, पर राणा ज्यादा दिन तिहाड़ में नहीं रहा
और राणा 17 फरवरी 2004 को तिहाड़ जेल से फरार हो गया, जिससे पूरे पुलिस महकमें में सनसनी फैल गई थी, फरार होने के बाद राणा ने नई योजना बनाई
शेर सिंह राणा को पता चला की सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी कांधार में हैं तो उसने वहाँ से उनकी अस्थियाँ लाने का प्राण किया
इसके बाद राणा ने प्लानिंग की और पहुँच गया कांधार और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ निकाल कर ले आया जिसकी उसने वीडियो भी बनाई
इसके बाद राणा कोलकाता से फिर गिरफ्तार हो गया, लेकिन राणा ने जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ लाकर जिस साहस का परिचय दिया लोग उसे हीरो मानने लगे
राणा की अदम्य साहस को लेकर बॉलीवुड में शेर सिंह राणा नाम से फिल्म भी बनाई जा रही है, रना ने जेल से आने के बाद राजनैतिक पार्टी बना लि है