Konark Sun Temple 

भारत में प्राचीन मंदिरों का अपना रहस्य है इसी कड़ी में कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत का प्राचीन मंदिर और रहस्यों से भरा हुआ है, तो आइए जानते हैं कोणार्क मंदिर के रहस्य

कोणार्क मंदिर के बारे में एक कहानी बताई जाती है कि कोणार्क मंदिर को 1200 मजदूरों द्वारा बारह सौ सालों तक लगातार काम करते हुए बनाया गया था

सूर्य के रथ के आकार का यह सूर्य मंदिर एक विश्वविद्यालय की तरह है जिसे सिर्फ हिंदुओं को ही नहीं बल्कि दुनिया के हर व्यक्ति को देखना और जानना चाहिए

एक कहानी के अनुसार, सूर्य देव ने इस क्षेत्र में अर्कुडु नमक राक्षस का वध किया था। जिससे इस स्थान का कोणार्क नाम पड़ा और सूर्य देव को यहाँ प्रथम पूज्य के रूप में देखा जाने लगा

इस स्थान के नामकरण से सम्बंधित एक और कहानी है जिसके अनुसार भगवान कृष्ण और जाम्बवत के पुत्र शम्भू पे आधारित है

भगवान कृष्ण ने किसी कारण से सम्भु को श्राप दे दिया था जिसपर सम्भु ने क्षमा याचना की और भगवान कृष्ण ने सूर्य देव की आराधना करने को कहा और तब सम्भु ने इसी स्थान पर सूर्य देव की अतुती की थी

यह मंदिर अद्भुत कला का जीता जागता प्रमाण है और इसे देखने से यह भी प्रतीत होता है की हमारे पूर्वज कितने विस्तृत तकनीक और सोच रखते थे

कोणार्क का सूर्य मंदिर एक रथ की तरह बनाया गया है जिसे देखने में ऐसा लगता है जैसे एक रथ को घोड़े खींच रहे हैं ठीक पौराणिक कथा में बताए गए सूर्य देव के रथ की तरह

कोणार्क सूर्य मंदिर में विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ बनाई गई हैं जिन्हें देखने में यह आश्चर्य होता है की उस ज़माने यह कैसे संभव हो पाया

कोणार्क सूर्य मंदिर एक अद्धभुत स्थान है यहाँ आकार आपको कुछ विशेष सीखने को मिलता है यहाँ आप देख पाते हैं की हमारे पूर्वज कितने विद्वान् थे जिन्हें हजारों साल पहले समय की इतनी सटीक गाड़ना आती थी