शतरंज के प्रतिभाशाली खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनानंदा ने 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर खिताब और 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल कर लिया था
आर प्रग्ननादा ने 2018 में केवल12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर खिताब जीत लिया था, प्रगनानंद केवल 16 साल की उम्र में मौजूदा विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं
इससे पहले प्रगनानंदा का नाम पहली बार चर्चा में तब आया, जब उन्होंने 7 साल की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप जीती और तब उन्हें फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स (FIDE) मास्टर की उपाधि मिली दी गई
प्रगनानंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ। इनके पिता स्टेट कॉर्पोरेशन बैंक में कार्यरत हैं, और मां नागलक्ष्मी एक हाउस वाइफ हैं। इनकी एक बड़ी बहन वैशाली आर वे भी शतरंज खेलती हैं।
ये 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने और सबसे कम उम्र में यह उपाधि हासिल करने वाले भारतीय शतरंज खिलाड़ी बने और इस मामले में प्रगनानंदा ने विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया
ये 2016 में यंगेस्ट इंटरनेशनल मास्टर बनने का रिकार्ड भी अपने नाम कर चुके हैं और उस समय ये केवल 10 साल के ही थे। शतरंज में ग्रैंडमास्टर सबसे ऊंची कैटेगरी वाले खिलाड़ियों को कहा जाता है
इन्होने शतरंज में अपने करियर की शुरुआत बड़ी बहन वैशाली आर को देखकर की, वैशाली 5 साल की उम्र से शतरंज खेल रही हैं और वैशाली भी महिला ग्रैंडमास्टर हैं।
इन्होने केवल 3 साल की उम्र से शतरंज सीखना शरू कर दिया था और तो और इन्होने चेस की कभी कोई क्लास नहीं ली और अपनी बड़ी बहन से खेलना सीखा
फ़िलहाल शतरंज के उभरते सितारे रमेशबाबू प्रगनानंदा FIDE वर्ल्ड कप खेल रहे हैं और फाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन के खिलाफ टाईब्रेकर का पहला गेम हार गए हैं
अब इनको अगला गेम जीतना ही होगा, प्रगनानंदा अगर कार्लसन को मात देने में कामयाब हो जाते हैं, तो 21 साल बाद कोई भारतीय खिलाड़ी यह टाइटल जीतेगा