Gyanvapi Masjid Vivad : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने उनकी मांग खारिज करते हुए टिप्पणी की कि यथास्थिति बनी रहेगी. बेसमेंट में व्याज जी की पूजा जारी रहेगी. इस मामले पर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी |
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों और अन्य से 30 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है.
आज की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि व्यास तहखान मामले में कब्जा सौंपने के लिए 7 दिन का समय दिया गया था. हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत. वहां पूजा की जा रही है. अहमदी ने कहा कि पिछले 30 साल से यहां कोई पूजा नहीं हुई. ऐसे में इस कोर्ट को निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा देनी चाहिए. यह मस्जिद के परिसर में है और इसकी इजाजत देना उचित नहीं है |
बहस में मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
अहमदी ने कहा कि राज्य सरकार के आदेश पर 1993 से हमारा कब्जा था. पिछले 30 साल से पूजा नहीं हो रही थी. इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. जिस पर सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट ने पाया है कि पहले का कब्जा व्यास परिवार के पास था. जिसके बाद अहमदी ने कहा कि ये उनका दावा है. कोई सबूत नहीं है. यह मस्जिद की जगह है. मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता. कोई सिविल कोर्ट ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील देते हुए अहमदी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट ने सिविल दावों से परे जाकर मामले में यह आदेश दिया है. अहमदी ने कहा कि 1993 से 2023 तक कोई पूजा नहीं हुई और 2023 में इसका दावा किया गया और अदालत ने आदेश दिया और कानून को ध्यान में रखते हुए पूजा की जगह दी गई |
मुस्लिम पक्ष ने कहा- वाराणसी कोर्ट ने दायर किया सिविल दावा
सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान अहमदी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट ने सिविल दावे से बाहर जाकर मामले में यह आदेश दिया है. अहमदी ने कहा कि 1993 से 2023 तक कोई पूजा नहीं हुई और 2023 में इसका दावा किया गया और अदालत ने आदेश दिया और कानून को ध्यान में रखते हुए पूजा की जगह दी गई|