हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीन बार चुनाव जीता है। अब कांग्रेस पार्टी इस बात पर विचार कर रही है कि आखिर कहां चूक हुई। इस बीच आम आदमी पार्टी के संजय सिंह नाम के एक सदस्य ने कहा कि कांग्रेस ने कुछ बड़ी गलतियां की हैं और उन्हें इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी के दो गुटों ने मिलकर काम किया और खूब वोट हासिल किए। Sanjay Singh ने कहा कि अगर हरियाणा में भी यही टीमवर्क होता तो कांग्रेस पार्टी के नेता भी मिलकर चुनाव लड़ना चाहते। तो राज्य के नेताओं ने अपनी योजना बदलकर अकेले चुनाव कराने का फैसला कैसे कर लिया? उन्होंने आम आदमी पार्टी या समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा।
एक व्यक्ति ने बताया कि अगर उन्होंने 90 जगहों पर जीतने की कोशिश की होती तो उन्हें सिर्फ 35 जगहों पर जीत मिली। अगर उन्होंने 80 जगहों पर कोशिश की होती और 5 या 6 जगहों पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर चुनाव जीते होते तो दोनों मिलकर करीब 70 जगहों पर जीत सकते थे! अगर अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का साथ दिया होता तो शायद हालात बेहतर होते। जाट और गैर-जाट जैसे अलग-अलग समूहों के लोगों के बीच लड़ाई को टाला जा सकता था। हमने सुना है कि कुछ कांग्रेसी सदस्य जो अपनी पार्टी से सहमत नहीं थे, उन्होंने अपने दम पर चुनाव लड़ा और आधिकारिक कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ जीत हासिल की।
अगर कांग्रेस पार्टी खुद को हराने की कोशिश कर रही है, तो वह जीत की उम्मीद कैसे कर सकती है? 17 कांग्रेस उम्मीदवार ऐसे हैं जो इसलिए नहीं जीत पाए क्योंकि उनकी अपनी पार्टी के कुछ लोगों ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
आम आदमी पार्टी (आप) के एक नेता ने कहा कि 17 कांग्रेस उम्मीदवार इसलिए चुनाव नहीं जीत पाए क्योंकि उनकी अपनी पार्टी के कुछ लोगों ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप दिल्ली में अन्य पार्टियों के साथ मिलकर काम करेगी या अकेले चुनाव लड़ेगी, तो उन्होंने जवाब दिया कि आप हमेशा अपने दम पर चुनाव लड़ती रही है और फिर से ऐसा करेगी। उनका मानना है कि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ अकेले ही जीत सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे पश्चिम बंगाल में टीएमसी नामक पार्टी भी अकेले ही भाजपा के खिलाफ जीत सकती है।