2014 में कांग्रेस की हार के बाद से Rahul Gandhi की छवि हारे हुए नेता की बनी हुई थी। पार्टी और पार्टी के बाहर उनकी लगातार आलोचना होती रही, पर वे डटे रहे। पिछले दो वर्षों में राहुल इस छवि को तोड़ने में कामयाब रहे। वे एक जुझारू और हार न मानने वाले नेता के रूप में इन चुनावों में उभरे हैं।
दो साल में 202 दिन की यात्राएं करके जुझारू नेता की छवि बनाई
पिछले दो सालों से राहुल गांधी यात्रा रणनीति पर काम कर रहे थे। इस दौरान दो यात्राओं में उन्होंने 202 दिन जनता के बीच बिताए। सितंबर 2022 में भारत जोड़ा यात्रा शुरू की थी। यह यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक थी। 136 दिनों की इस यात्रा में उन्होंने 12 सभाओं को संबोधित किया था। इस साल उन्होंने 14 जनवरी को मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की। इस बार उन्होंने 63 दिन में 6600 किमी की यात्रा की। इन दोनों यात्राओं ने राहुल गांधी को लगातार चर्चा में बनाए रखा और उनका ग्राउंड कनेक्ट भी बढ़ गया। वे एक जुझारू नेता की छवि बनाने में कामयाब रहे।
नेता पार्टी छोड़ते रहे, लेकिन राहुल घबाराए नहीं, संघर्ष करते रहे
हर जगह कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में जाते रहे, लेकिन राहुल पूरी ताकत से पार्टी को फिर खड़ा करने में जुटे रहे। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद अशोक चव्हाण ने भाजपा का दामन थाम लिया। पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया भाजपा का दामन थाम लिया। जम्मू कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी।
‘5 न्याय, 25 गारंटी’ की रणनीति से युवाओं और महिलाओं को साधा
राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस ने घोषणा पत्र में 5 न्याय, 25 गारंटी का एलान किया। पार्टी ने युवा, महिला, किसान, श्रमिक समेत दलित, ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय के लोगों का जिक्र किया। दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ाने का वादा किया। न्याय गारंटी में पार्टी ने युवाओं को रोजगार की गारंटी दी। 30 लाख सरकारी पदों पर नौकरी, इंसाफ दिलाने के लिए मुफ्त कानूनी सहायता और गरीब महिलाओं की आर्थिक मदद जैसे कई ऐसे वादे किए, जिनका लाभ मिला।
पार्टी में ही आलोचना, पर जातिगत जनगणना के मुद्दे को छोड़ा नहीं
जाति जनगणना के मुद्दे को राहुल ने लगातार चर्चा में बनाए रखा। बिहार में जब कांग्रेस की गठबंधन सरकार थी तो वहां जाति जनगणना कराई भी हुई। राहुल ने लगातार यह मुद्दा उठाया। हालांकि इस पर कांग्रेस के ही नेता एकमत नहीं थे। आनंद शर्मा ने जाति जनगणना के मुद्दे को उठाना गलत बताया था। पर राहुल आलोचनाओं को दरकिनार करते रहे।
झिझक तोड़ने से लेकर दिलचस्प बयान देने तक सफर तय किया
प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने खटाखट शब्द का इस्तेमाल किया। चुनावी रैली में उन्होंने कहा हर माह की पहली तारीख को खटाखट खटाखट अंदर। यह बयान काफी चर्चा में रहा। इसके बाद जब एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें परमात्मा ने भेजा है तो इस पर राहुल ने कहा कि उनके परमात्मा उन्हें अंबानी और अडानी की मदद के लिए भेजा है।