Chandigarh में जल्द ही मेडिकल क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल देखने को मिलेगी, जहां अंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रारंभिक परीक्षण पीजीआई (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) में किया जा रहा है। हालांकि, फिलहाल यह परीक्षण चरण में है, लेकिन इसे जल्द ही औपचारिक रूप से शुरू किया जाएगा।
समय और सुरक्षा दोनों की होगी बचत
पीजीआई के एचओडी डॉ. बिमान सेकिया ने बताया कि भारत में अब तक किसी ने अंगों के परिवहन के लिए इस प्रकार की तकनीक का उपयोग नहीं किया है। पीजीआई इस पहल को शुरू करने जा रहा है ताकि समय की बचत के साथ-साथ रोगियों को बेहतर मदद मिल सके। डॉ. बिमान ने कहा कि वर्तमान में, अंगों को सड़क मार्ग से ले जाया जाता है, जिसमें काफी समय लगता है और कई बार अंगों के खराब होने का खतरा भी बना रहता है। ड्रोन तकनीक के जरिए यह प्रक्रिया न केवल तेज होगी, बल्कि सुरक्षित भी हो जाएगी।
ड्रोन तकनीक का उपयोग: दवाओं से अंगों तक
डॉ. बिमान ने बताया कि पहले ड्रोन का उपयोग एम्स गुवाहाटी और एम्स बिलासपुर में दवाइयों और सैंपल्स के परिवहन के लिए किया जाता था। लेकिन अब पीजीआई इसे अंगों के परिवहन के लिए इस्तेमाल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह तकनीक अंगों को तेजी से और सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचाने में सहायक होगी।
एआई तकनीक से चिकित्सा क्षेत्र में हो रहा बड़ा बदलाव
डॉ. बिमान ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक भी मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उन्होंने बताया कि ड्रोन और एआई जैसी तकनीक के समावेश से चिकित्सा प्रक्रियाएं अधिक सटीक, तेज और प्रभावी हो रही हैं। यह परियोजना न केवल चंडीगढ़ के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
ड्रोन तकनीक के जरिए अंगों का परिवहन, चिकित्सा क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो न केवल मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा बल्कि चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को भी बढ़ाएगा।