BJP नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू के बयान पर आम आदमी पार्टी (आप) ने पलटवार किया है। आप सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि बिट्टू सरासर झूठ बोल रहें हैं। बीज का कोई मुद्दा ही नहीं है। अगर बीज में कोई दिक्कत होती तो केन्द्र सरकार धान की फसल खरीदने के लिए सीसीएल लिमिट कैसे जारी कर दी? अगर बीज का मसला होता तो केंद्र सरकार पैसे जारी ही नहीं करती। ऐसा सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए बोला जा रहा है।
कंग ने कहा कि पीआर-126 को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) ने सभी संबंधित संस्थानों से सहमति लेकर बनाई है। इसमें राइस मिलर भी है और इसे केंद्र सरकार ने भी स्वीकृति दी है। जब भी पीएयू कोई नया बीज तैयार करती है तो सबसे सहमति लेकर ही करती है। सात साल से यह बीज पंजाब में बोया जा रहा है आज तक कोई समस्या नहीं आई, अब जब केन्द्र सरकार फसल उठाने में फेल साबित हो गई है तो वे आईआईटी कानपुर से बीज की जांच कराने की बात कर रहे हैं।
कंग ने कहा कि रवनीत बिट्टू की नकली और महंगा बीज वाली बात भी पूरी तरह झूठी है। कहीं भी महंगा बीज नहीं बेचा गया। सभी मान्यता प्राप्त बीज दुकानों पर तय की गई कीमत 56 रूपये प्रति किलो के हिसाब से ही बीज की बिक्री हुई है। अगर रवनीत बिट्टू को 3500 रू में बीज बिकने की खबर मिली तो जून-जुलाई में इस मामले को क्यों नहीं उठाया? अब जब केन्द्र सरकार एक्सपोज हो गई है और बुरी तरह फंस चुकी है तो उन्हें अचानक महंगी और नकली बीज याद आ गया। कंग ने कहा कि असल में इस तरह के बयान देकर भाजपा नेता असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं।
दरअसल ये सब केंद्र सरकार और भाजपा का पंजाब के किसानों- आढ़तियों और शेलर मालिकों को परेशान करने का बहाना है। भाजपा पंजाब के किसानों को तबाह करना चाहती है। वह किसान आंदोलन का बदला ले रही है। भाजपा पंजाब के किसानों से नफरत करती है।
सिंगल कस्टडी मामले पर कंग ने कहा कि अनाज का असली मालिक केंद्र सरकार है। अनाज खरीदने और उसके रखरखाव की सारी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की ही है। राज्य सरकार तो सिर्फ केयरटेकर का काम करती है। जब तक सारी फसल मंडियों से उठ नहीं जाती तब तक उसके देखभाल की जिम्मेदारी राज्य की है। सिंगल कस्टडी का मुद्दा छेड़कर केन्द्र अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है और जानबूझकर पंजाब सरकार और राइस मिलरों को घसीट रहा है।
धीमी लिफ्टिंग पर कंग ने कहा कि केन्द्र सरकार दावा कर रही है कि उसने अक्टूबर में 15 लाख मिट्रिक टन अनाज की लिफ्टिंग की है, तो फिर उसने जनवरी से ऐसा क्यों नहीं किया? अगर जनवरी से 15 लाख मिट्रिक टन हर महीने उठाया जाता तो सितंबर तक करीब 120 लाख मिट्रिक टन से ज्यादा अनाज के लिए जगह खाली हो चुकी होती। फिर आज यह मसला पैदा ही नहीं होता। इससे साफ झलकता है कि भाजपा सरकार ने पंजाब को तबाह करने के लिए जानबूझकर धीमी लिफ्टिंग करवाई।
कंग ने कहा कि केंद्र सरकार ने शेलर मालिकों से भी मीटिंग की लेकिन कोई हल नहीं निकाला। सभी को निराश करके वापस भेजा। वहीं आप सरकार राज्य के किसानों आढ़तियों और शेलर मालिकों के साथ खड़ी है। सरकार लगातार किसानों की परेशानी दूर करने का प्रयास कर रही है। हम केंद्र सरकार से भी अपील करते हैं कि आरोप-प्रत्यारोप के बजाय अपनी जिम्मेदारी निभाएं और समस्याओं का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करें।