Haryana के रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (PGI) के डॉक्टरों ने बुधवार को मेडिकल इतिहास में एक असाधारण सफलता हासिल की। पहली बार, डॉक्टरों ने एक 9 वर्षीय बच्चे के सिर में 8-10 सेंटीमीटर अंदर तक घुसी लोहे की रॉड को चार घंटे के ऑपरेशन के बाद सुरक्षित तरीके से निकाला। मेवात से आए नौशाद नामक इस बच्चे की हालत अब धीरे-धीरे सुधर रही है।
कैसे हुआ हादसा?
नौशाद के परिवार ने बताया कि खेलते समय गिरने की वजह से उसके सिर में लोहे की रॉड घुस गई। 9 नवंबर को उसे पीजीआई रोहतक में बेहोशी की हालत में भर्ती कराया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया। रॉड के कारण मस्तिष्क में चोट, पैरालिसिस और आवाज जाने का गंभीर खतरा था।
जटिल और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन
पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर सिंह और प्रोफेसर डॉ. गोपाल कृष्ण ने बताया कि मरीज की हालत बेहद नाजुक थी।
- रॉड ने खोपड़ी के बाईं ओर गहरी चोट पहुंचाई थी, जिससे फ्रैक्चर और रक्तस्राव हो गया था।
- न्यूरोलॉजिकल क्षति का जोखिम बहुत अधिक था।
- डॉक्टरों के पास रॉड निकालने का फैसला लेने और प्रक्रिया शुरू करने के लिए बेहद सीमित समय था।
मेडिकल टीम ने अत्याधुनिक तकनीक और माइक्रोसर्जिकल उपकरणों का उपयोग करते हुए मस्तिष्क तक पहुंच बनाई। ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव को नियंत्रित किया गया और मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों को संरक्षित किया गया।
रिकवरी: एक चमत्कारिक सफलता
- सर्जरी के कुछ घंटों के भीतर नौशाद होश में आ गया।
- जल्द ही उसने परिवार और डॉक्टरों को पहचानना शुरू कर दिया।
- कुछ ही दिनों में वह चलने, बोलने और खुद खाना खाने में सक्षम हो गया।
डॉक्टरों ने इस ऑपरेशन को अपनी टीम के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण और जानलेवा प्रक्रियाओं में से एक बताया। नौशाद की रिकवरी को चिकित्सा क्षेत्र में एक चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है।
परिवार और डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
नौशाद का परिवार डॉक्टरों और अस्पताल का शुक्रिया अदा कर रहा है। डॉक्टरों ने भी टीम वर्क और अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की सफलता का श्रेय पूरे स्टाफ को दिया है।
संदेश
यह केस न केवल चिकित्सा जगत की सफलता को दर्शाता है, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में त्वरित और सही फैसले लेने के महत्व को भी रेखांकित करता है। पीजीआई रोहतक की इस उपलब्धि को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।