Faridabad के बाटा चौक पर फ्लाईओवर के नीचे और खुले आसमान के नीचे कई लोग ठंड में सोने को मजबूर हैं। जनवरी की सर्द हवाओं और गहराती रातों के बीच उनकी जिंदगी एक कठिन चुनौती बन गई है। इनमें से अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके पास न तो रैन बसेरा में रहने की सुविधा है और न ही कोई स्थायी पहचान पत्र, जो उनके लिए रात को सुरक्षित जगह उपलब्ध करा सके।
रैन बसेरा में रात बिताने के लिए जरूरी है पहचान पत्र
कल्याण, जो आगरा का रहने वाला है,उसने पत्रकार को बताया कि रैन बसेरा में ठहरने के लिए एक पहचान पत्र की आवश्यकता होती है, लेकिन उनके पास कोई भी वैध पहचान दस्तावेज नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरे पास कोई आईडी नहीं है, इसलिए मुझे खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पहले मैं दिल्ली में काम करता था, लेकिन अब कोई स्थायी ठिकाना नहीं है।”
फुटपाथ पर जीने की मजबूरी
यूपी के देवरिया निवासी अमित कुमार ने बताया कि उनकी पहचान से जुड़ी दस्तावेज चोरी हो गए हैं। “पहले मेरे पास सारी आईडी थी, लेकिन अब कुछ भी नहीं बचा। आधार कार्ड भी ऑनलाइन नहीं निकल रहा है, क्योंकि मेरे पुराने नंबर पर वोडाफोन का बकाया बिल है। इस वजह से मुझे फुटपाथ पर सोना पड़ता है,” अमित ने कहा।
अमित ने बताया कि वह पिछले 35-40 सालों से फुटपाथ पर जीवन बिता रहे हैं। “मैं दिन में ट्रक चालकों और राहगीरों को गाइड करता हूं। इससे 100-200 रुपये कमा लेता हूं और किसी तरह अपना गुजारा करता हूं। मेरी शादी हो चुकी है और मेरा परिवार गांव में रहता है, लेकिन यहां मेरी जिंदगी सिर्फ फुटपाथ पर ही है।”
सरकार से अपील: पहचान पत्र और रैन बसेरा की व्यवस्था करें
इन परिस्थितियों में जीवन जी रहे लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनके लिए स्थायी व्यवस्था की जाए और पहचान पत्र की समस्या का समाधान निकाला जाए, ताकि वे रैन बसेरा में रात गुजार सकें और ठंड से बच सकें। इन लोगों का कहना है कि अगर उनकी पहचान से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो जाए तो उन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का अवसर मिल सकता है।