दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार ने जाट समुदाय को साधने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने 8वीं कक्षा की किताबों में भरतपुर के Maharaja Surajma का इतिहास शामिल करने का फैसला किया है। हरियाणा में जाट समाज की संख्या करीब 22.2 प्रतिशत है, और इसके अलावा राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी जाट समुदाय के लोग बड़े पैमाने पर रहते हैं।
Maharaja Surajma का इतिहास स्कूलों में पढ़ाए जाने की मंजूरी पर भरतपुर राजपरिवार के वंशज और पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार व्यक्त किया है।
हरियाणा के जाट बहुल जिलों—रोहतक, सोनीपत, कैथल, पानीपत, जींद, सिरसा, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी—की करीब 35 विधानसभा सीटों पर जाट समाज की प्रभावशाली पकड़ है। इन जिलों को ‘जाटलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों पर जाट समुदाय का असर है, जिनमें महरौली, नजफगढ़, बिजवासन, पालम, मटियाला, विकासपुरी, नांगलोई जाट, नरेला, रिठाला और मुंडका शामिल हैं, जो हरियाणा से सटी हुई हैं।
भले ही 2013 में इन जाट बहुल सीटों पर भाजपा का दबदबा था, लेकिन 2015 के बाद माहौल पूरी तरह से आम आदमी पार्टी (AAP) के पक्ष में बदल गया। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने इन सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी लगातार जाट समाज के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जाटों को भारत माता के सच्चे सपूत बताते हुए कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में जाट भाजपा को ही वोट देंगे। इसका असर लोकसभा चुनाव में भाजपा के 5 सीट गंवाने के बावजूद विधानसभा में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने पर देखने को मिला।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जाट समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। उन्होंने गुरुग्राम में जाट कल्याण सभा भवन का शिलान्यास किया और हिसार में दानवीर सेठ छाजूराम की जयंती पर जाट शिक्षण संस्थान के शताब्दी समारोह में भाग लिया। 24 दिसंबर को सिरसा के फूलकां गांव में आयोजित भारतीय जाट विकास मंच के कार्यक्रम में भी वह शामिल हुए, जहां उन्होंने जाट महापुरुषों के योगदान की शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग का समर्थन किया।