History Facts in Hindi में जानिए इतिहास में दी जाने वाली सजाओं का एक ऐसा तरीका जिसे सुनकर आपके भी होस उड़ जाएँगे, बैल के पेट में डालकर भून दिया जाता था इंसान को
history facts in hindi
history facts in hindi के इस लेख में आप जानने वाले हैं इतिहास में दी जाने वाली एक ऐसी सजा के बारे में जिसके बारे में सुनकर मुर्दों की भी रूह काँप जाती थी, लोग ऐसी सजाओं के डर से अपराध करना तो छोडिए अपराध का नाम नहीं लेते थे, लेकिन यह जो सजा है इसकी मजेदार बात यह है की जिसने इस तरीके से सजा देने का अविष्कार किया उस व्यक्ति से ही उसका शुभारंभ हुआ
यूं तो आप लोगों ने इतिहास में दी जाने वाली कई सारी सजाओं के बारे में सुना ही होगा, जिनमें से किसी में इंसान को उल्टा लटकाकर बीच से काट दिया जाता था तो किसी में उन्हें चूहों से कटवाकर मारा जाता था। इसके अलावा बिजली के झटके देकर मारने का भी नियम कई सारे लोगों ने अपनाया और इसी तरह ही कई सारी खतरनाक विधियों को अपनाकर लोगों को उनकी गलतियों की सजा दी जाती थी।
Brazen Bull (फलारिस का बैल) | history facts in hindi
इतिहास में एक सजा ऐसी भी हैं जो किसी का भी दिल दहला सकती है और उस सजा का नाम है “ब्रेज़ान बुल” जिससे की ब्रॉन्ज़ बुल या फलारिस का बैल शिशेरियन बुल कई नामों से जाना जाता है। दरअसल इस सजा के अंदर क्रूर शासक के द्वारा इंसानों को पीतल से बने हुए एक बैल के अंदर डालकर तब तक भूना जाता था जब तक उसके चिल्लाते चिल्लाते जान ना निकल जाए और इस बैल (सांड) को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता था कि आदमी इसके अंदर कितना भी चीखता और चिल्लाता हो बाहर सांड के चिल्लाने की आवाज सुनाई देती थी। हालांकि सांड़ के बारे में और भी बहुत सारी बातें
अब जानते हैं कि आखिर इस सजा के बारे में लोगों को पता कैसे लगा और इस तरह की सजा दी कब जाती? ब्रेज़ान बुल सजा के बारे में बहुत सारी ऐतिहासिक किताबों में बताया गया है और इसी तरह की एक किताब हिस्टोरियन ‘टायोटोरस हिटलस’ ने भी लिखा है जहाँ उन्होंने ब्रोज़न बुल की पूरी कहानी बताई है। हालांकि इस सजा के अलावा भी उन्होंने और भी कई सारे सजाओं को अपने बुक में लिखा जो कि पहले के समय में एक क्रूर शासक, लोगों को दिया करते थे। दरअसल इस बुल का आइडिया दिया था 570 और 554 बीसी के बीच पेरीलॉस नाम के एक खोजकर्ता ने।
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जो कि अपने समय के एक इन्वेन्टर यानी की खोजकर्ता और मूर्तिकार भी था और इस पीतल से बने हुए सांड को जिस शासक के लिए बनाया गया था उस क्रूर शासक का नाम था फलारिस जो की अपने राज्य के अंदर गलती करने वाले लोगों को ऐसी सजा देना चाहते थे जिससे हर कोई सहम उठे और इसीलिए उन्होंने ब्रोंज बुल को डिजाइन करवाया। दरअसल, इस सांड को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया गया था की इसके पेट के अंदर किसी भी इंसान को डाला जा सकता था और फिर सांड के पेट में इंसानों को डालने के बाद
नीचे से आग लगा दी जाती थी और फिर होता यह था कि इंसान सांड के पेट में भुनने लगते थे। लेकिन दोस्तों खेल यहीं पर खत्म नहीं होता। धीरे धीरे भुनते हुए लोग जब चीखते और चिल्लाते थे तब सांड के मुँह से सांड की तरह आवाज निकल कर आती थी क्योंकि को कुछ इसी तरीके से ही बनाया गया था। इसके अलावा सांड की नाक से हल्का हल्का धुआं भी निकलता था। साथ ही नाक के अंदर से जो धुआ निकलता उसने बदबू की जगह सुगंध होता था क्योंकि बोल के अंदर नाक के पास में
परफ्यूम को सेट किया गया था और दोस्तों, इस तरह से इंसान को दी जाने वाली सजा का वह क्रूर शासक आनंद उठाता था। लेकिन दोस्तों, क्या आपको पता है कि इस बुल में सबसे पहले जलाया किसको गया था? दरअसल, ब्रेजन बुल के इन्वेन्टर यानी की खोजकर्ता को ही अपने क्रूर शासक का निशाना बनना पड़ा, क्योंकि जब इस भूल को बनाने के बाद इसकी खासियत उन्होंने राजा को बताई तब राजा ने भी सबसे पहले पेरी लॉस को ही डालकर इसका ट्रायल लिया। दरअसल, राजा देखना चाहते थे की सच में
सांड में इतनी खासियत है और फिर खोजकर्ता को जलाने के बाद से राजा काफी खुश हो गए क्योंकि राजा को खूब पसंद आया था और फिर कई सारे लोगों को भी आगे चलकर इसके जरिये सजा दी गयी। हालांकि उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि जब यह क्रूर राजा अपने शासनकाल से हटा तब इसे भी बुल के अंदर ही भूनकर मार दिया गया था। जोकि अपने आप में बहुत ही ऐतिहासिक बात है।
अब हम आपको इससे जुड़े हुए सेंट यूस्टऐस नाम के एक व्यक्ति की कहानी बताते हैं। दरअसल कहा जाता है की सेकंड सेंचुरी में जब रोमन लोग क्रिस्चन धर्म में परिवर्तित नहीं हुए थे तो उससे पहले वो क्रिस्चन धर्म के लोगों को सजा दिया करते थे जिसमें रोमन साम्राज्य के लोग कई सारे क्वेश्चन्स को ब्रोजन बुल के अंदर डालकर मार देते थे और कुछ ऐसा ही सेंट सेंट यूस्टऐस के साथ भी हुआ। इस तरह की चीजों पर पूरी तरह से विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन जिस तरह से इतिहासकारों ने लिखा है हमें यह यकीन करना पड़ेगा
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Disclaimer
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