पंजाब एवं Haryana हाईकोर्ट में हरियाणा प्रशासनिक न्यायाधिकरण के गठन से जुड़े मामले पर 13 दिसंबर को सुनवाई होगी। यह मामला कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों के तेज़ निपटारे और हाईकोर्ट के मुकदमों का भार कम करने के उद्देश्य से न्यायाधिकरण की स्थापना के मुद्दे पर केंद्रित है।
हाईकोर्ट का रुख और मांगी गई जानकारी
हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने राज्य के कर्मचारियों के सेवा मामलों से संबंधित आँकड़े मांगे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- Haryana से संबंधित सेवा मामलों की कुल संख्या जो हाईकोर्ट में लंबित हैं।
- वर्ष 2022 से अब तक ऐसे मामलों के निपटारे की संख्या।
- हरियाणा राज्य के सेवा मामलों की सुनवाई के लिए उपलब्ध पीठों का विवरण।
Haryana प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना
Haryana सरकार ने 16 नवंबर, 2021 को एक अधिसूचना के माध्यम से पंचकूला में न्यायाधिकरण की मुख्य पीठ स्थापित की थी, जिसमें दो अदालतें शामिल हैं।
- मुख्य उद्देश्य:
- सेवा मामलों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज़ करना।
- हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों का भार कम करना।
केंद्र सरकार ने 24 जुलाई, 2019 को प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 की धारा 4(2) के तहत हरियाणा प्रशासनिक न्यायाधिकरण के गठन को मंजूरी दी थी।
मुकदमे स्थानांतरित करने का प्रस्ताव और वकीलों का विरोध
- 10000 से अधिक सेवा-संबंधी मुकदमे हाईकोर्ट से न्यायाधिकरण में स्थानांतरित किए जाने थे।
- इसके विरोध में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और वकीलों ने हड़ताल कर दी, जिससे जुलाई-अगस्त 2019 में तीन सप्ताह से अधिक समय तक कामकाज ठप रहा।
- 2 अगस्त 2019: हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने न्यायाधिकरण की स्थापना संबंधी केंद्र की अधिसूचना के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी।
राज्य सरकार का तर्क
हरियाणा सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है:
- न्यायाधिकरण की आवश्यकता: यह न केवल सेवा मामलों का तेज़ निपटारा करेगा बल्कि हाईकोर्ट पर मुकदमों का दबाव भी कम करेगा।
- सफल संचालन: अन्य सभी ट्रिब्यूनल और आयोग त्राइसिटी में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक न्यायाधिकरण भी प्रभावी ढंग से कार्य कर सकता है।
संदेह और चुनौतियाँ
- न्यायाधिकरण के संचालन को लेकर वकीलों का विश्वास जीतना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- सेवा मामलों के निपटारे में न्यायाधिकरण की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए गए हैं।