Haryana: प्रदेश में गेहूं के फानों के साथ दिन- रात हरे-भरे पेड़-पौधे भी आग की भेंट चढ़ रहे हैं। इस सीजन में 8 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे और 2938 जगह गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा चुके हैं। फसल अवशेष जलाने के मामले बीते साल से 62.15 प्रतिशत बढ़े है, लेकिन ताजुब की बात है कि कृषि और वन विभाग की कार्रवाई सिर्फ दो-तीन जिलों में ही दिखाई दे रही है। वह भी नामात्र। गुरुवार को भी प्रदेश में 30 जगहों पर फसल अवशेष जलाए गए हैं।
सबसे ज्यादा फाने जलाने की घटनाएं करनाल, जींद और रोहतक में सामने आई हैं। इस साल अब तक महेंद्रगढ़ में एक भी जगह फसल अवशेष जलने का कोई मामला सामने नहीं आया है। नूंह, रेवाड़ी, फरीदाबाद और पंचकूला में भी कम फसली अवशेष जलाए गए हैं। इस मामले में कृषि विभाग हिसार के उपनिदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि रबी सीजन में फसल अवशेष जलाने को लेकर सैटेलाइट के जरिए निगरानी रखी जा रही है। हिसार में अब तक 126 जगह फसल अवशेष जले हैं। प्रदेश में आंकड़ा कुछ बढ़ा है। अवशेष जलाने वालों को नोटिस भेजे जाते हैं, बार-बार ऐसा करने पर एफआईआर करवाई जाती है।
अधिकारियों के तर्कः जले पेड़ों में पानी दे रहे
करनाल में 5000 पेड़ जल व झुलस चुके हैं, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। डीएफओ जयकुमार का कहना है कि जले हुए पेड़ों में पानी दे रहे हैं।
अम्बाला में वन विभाग के डीएफओ पवन शर्मा ने बताया कि फानों के साथ महज 10 से 15 पेड़ पौधे प्रभावित हुए होंगे। कुछ जुर्माना लगाया है। –
फतेहाबाद में 120 किसानों को नोटिस दिए हैं। 8 किसानों पर 20 हजार रुपए जुर्माना लगाया है।
जींद में वन विभाग के अनुसार कोई पेड़ नहीं जले, जबकि यहां 312 जगह पेड़ जले हैं।