Biometrics Device : सचेत हो जाएं… अगर आपका आधार कार्ड मोबाइल नंबर और ईमेल से नहीं जुड़ा है तो आपका बैंक खाता सुरक्षित नहीं है। एकाउंट में आसानी से सेंधमारी हो सकती है। सिलिकॉन मैटेरियल से डुप्लीकेट फिंगर प्रिंट बनाकर साइबर फ्रॉड ऐसे खातों पर हाथ साफ कर रहे हैं।
बैंकों के सीएसपी में उपयोग किए जा रहे एल-1 डिवाइस से फिंगर प्रिंट फ्रॉड करने वालों तक पहुंच रहे हैं। जमीन के केवाला से भी फिंगर प्रिंट और आधार कार्ड डाउनलोड कर खातों से पैसे गायब किए जा रहे हैं। पिछले तीन सालों में पूर्णिया का अमौर ऐसे धंधेबाजों के ठिकाने के रूप में चर्चा में आया है।
देश के कई हिस्सों से ऐसी ठगी के तार इस इलाके से जुड़ते रहे हैं और गिरफ्तारियां भी हुई हैं। झारखंड के जामताड़ा की तरह ही यहां भी साइबर फ्रॉड की फैक्ट्री है। जब एक रिपोर्टर धंधेबाजों तक पहुंचा तो कई सनसनीखेज खुलासे हुए।
हाल के दिनों में सिर्फ अमौर थाने में साइबर फ्रॉड में कांड संख्या-197/21, 105/23,135/ 23, 141/23, 408/23,131/24 दर्ज हुए हैं। इनवेस्टिगेशन में पता चला कि एल-1 डिवाइस में थीन पेपर लगा साइबर फ्रॉड अनलॉक आधार (जो ईमेल-मोबाइल से नहीं जुड़ा है।) के फिंगर प्रिंट चोरी कर रहे हैं।
इसमें से एक कसबा का लागन गांव निवासी मो. कैसर अली बैंक ऑफ बड़ौदा का सीएसपी चलाता है। यहीं से सारे राज सामने आए। अमौर में साइबर फ्रॉड का पहला मामला वर्ष 2021 में सामने आया था। उस मामले में अमौर पुलिस ने पहली बार कांड संख्या 197/21 दर्ज किया था। उसमें यह बात सामने आई थी कि साइबर फ्रॉड आंध्र सहित दूसरे प्रदेश के केवाला से फिंगर प्रिंट लेकर आधार कार्ड डाउनलोड कर उससे लिंक खाते से रुपए की निकासी कर रहे थे। इसकी सूचना अमौर के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजीव कुमार को मिली थी।
जिस पर कार्रवाई करते हुए उन्होंने एफआईआर की। इसके बाद फ्रॉड के मामले बढ़ते गए। तब इस मामले में एक ही व्यक्ति मो. आमिर को गिरफ्तार किया गया था। अब इस फ्रॉड को अंजाम देने वाले युवाओं की संख्या की गिनती बता पाना शायद पुलिस के लिए भी आसान नहीं है। 2022 में इसके बाद एक भी मामले सामने नहीं आए। 2023 में अचानक सिर्फ अमौर थाना में ही 6 मामले दर्ज हुए। 2024 आते-आते पूर्णिया जिले के विभिन्न थाने में साइबर फ्रॉड के मामले सामने आने लगे।