First Test Tube Baby
First Test Tube Baby: विज्ञान के क्षेत्र में 25 जुलाई को एक विशेष दिन के रूप में देखा जाता है और मुख्य तौर पर 25 जुलाई का दिन निःसंतान दम्पतियों के लिए विशेष है क्यों की इंग्लेंड के ओल्डहैम शहर में 25 जुलाई 1978 को सबसे पहला IVF पद्धति (उपचार) से एक शिशु लुईस ब्राउन का जन्म हुआ इस शिशु का वजन लगभग ढाई किलोग्राम था, ओल्डहैम के सरकारी अस्पताल में इस बच्ची का जन्म हुआ था
इस पद्धती से शिशु के जन्म के बाद निःसंतान दम्पतियों को एक आशा दिखाई दी और लगभग 5000 निःसंतान दम्पतियों ने इस पद्धति को अपनाकर संतान प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की
वर्तमान में IVF पद्धति भारत समेत दुनियाभर में निःसंतान दम्पतियों को संतान उत्पत्ति के लिए कारगार है
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क्या है IVF पद्धति
IVF पद्धति में सामान्य तौर पर किसी दम्पति के शुक्राणु और अण्डों को प्रयोगशाला के डिस में रखा जाता है और फ्यूज किया जाता है जिससे निषेचन प्रक्रिया शुरू होती है और विशेषज्ञों द्वारा इसकी सतत निगरानी की जाती है कुछ दिनों बाद सफलतापूर्वक निषेचन प्रक्रिया होने पर अंडे भ्रूण में विकसित हो जाते हैं
25 जुलाई को इस पद्धति से पहला शिशु हुआ था इसीलिए 25 जुलाई ऐसे कपल्स के लिए खास है जिनकी कोई संतान नहीं है और वे इस IVF पद्धति से संतान प्राप्त कर सकते हैं
भारत में कब हुआ First Test Tube Baby
इंग्लेंड में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्म के बाद भारत में दूसरा टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था जो की एक रिकोर्ड है भारत में कोलकाता के डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने 3 अक्टूबर 1978 को पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का सफल परिक्षण किया था, हालाकि इस परिक्षण को अवैध माना गया था और इससे निरास होकर 1981 में डॉ. मुखोपाध्याय ने आत्महत्या कर ली थी लेकिन सन 2002 में इस परिक्षण को पुन: वैद्ध माना गया
डॉ. मुखोपाध्याय के First Test Tube Baby का नम दुर्गा कनुप्रिया अग्रवाल है जिसने इंग्लेंड में लुईस के जन्म के पूरे 67 दिनों बाद जन्म लिया था जो की भारत की First Test Tube Baby की श्रेणी में आती हैं
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