संयुक्त किसान मोर्चा (गैरराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने Supreme Court को पत्र लिखकर केंद्र सरकार को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी को कानूनी रूप देने का आदेश जारी करने की अपील की है। किसान नेताओं ने कहा कि यह उनकी मांग नहीं, बल्कि अलग-अलग सरकारों द्वारा किए गए वादों की याद दिलाने का प्रयास है।
सिफारिशें और समर्थन
खानुरी और शंभू में चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान कृषि मामलों की संसदीय समिति ने भी एमएसपी की कानूनी गारंटी की सिफारिश की थी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस मुद्दे पर किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को उनकी बात सुननी चाहिए।
हुड्डा ने कहा, “अगर किसान Supreme Court में यह मामला ले जाते हैं, तो सरकार को इसका समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, और सरकार को इस पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।”
सरकार पर सवाल और आलोचना
पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को भेजे गए ड्राफ्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसानों की एकमात्र मांग एमएसपी की गारंटी है। सरकार हमेशा किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन इसे लागू करने की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं करती।
कांग्रेस नेताओं का समर्थन
गुरुवार को कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से खनुरी बॉर्डर पर मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार को घमंड छोड़कर इंसानियत दिखानी चाहिए और किसानों की जायज़ मांगों को तुरंत स्वीकार करना चाहिए।
हुड्डा ने कहा, “यह वही मांगें हैं, जिन्हें सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी थी। सरकार को किसानों से बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। 101 किसानों ने दिल्ली जाकर अपनी आवाज़ उठाने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। यह देखकर किसान नाराज हैं कि समाज के अन्य वर्गों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार मिलता है, लेकिन उन्हें यह अधिकार नहीं दिया जा रहा है।”
आगे की राह
किसान नेता और उनके समर्थक एमएसपी को कानूनी दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े हुए हैं। वे इसे अपनी लड़ाई का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।