हरियाणा के नूंह जिले में MNREGA योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। एनबीटी की जांच में सामने आया कि कैसे सरकारी खजाने को लूटने के लिए गूगल से मजदूरों की फर्जी तस्वीरें डाउनलोड कर मनरेगा ऐप पर अपलोड की जा रही हैं। अधिकारियों और सरपंचों की मिलीभगत से मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाकर सरकारी धन का गबन किया जा रहा है।
कैसे हो रहा है घोटाला?
मनरेगा के कार्यों में निगरानी के लिए सरकार ने अप्रैल 2022 में एनएमएमएस (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) लागू किया था। इसके तहत श्रमिकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज की जाती है और काम करते हुए उनकी तस्वीरें अपलोड की जाती हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर ठेकेदार और अधिकारी इस सिस्टम को धोखा देने के तरीके ढूंढ चुके हैं।
- ठेकेदार गूगल से मजदूरों की फर्जी तस्वीरें डाउनलोड कर अपने फोन में सेव कर लेते हैं।
- इन तस्वीरों को ऐप पर अपलोड कर हाजिरी दर्ज की जाती है।
- जेई, एबीपीओ और ग्राम सचिव जैसी जिम्मेदारियां निभाने वाले अधिकारी अपने कमीशन के चक्कर में इन फर्जी हाजिरियों का सत्यापन कर देते हैं।
जिले भर में फैला भ्रष्टाचार
एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, नूंह जिले के चितौड़ा, हमजापुर, मुहदबास, भाकरोजी जैसे कई गांवों में यह घोटाला बड़े पैमाने पर हो रहा है। मस्टर रोल में फर्जी जॉब कार्ड और बैंक खाते के जरिए मजदूरों की नकली हाजिरी तैयार की जा रही है।
मुख्य आरोपित और भ्रष्ट तंत्र की भूमिका
गांव तीरवाड़ा के समाजसेवी यूसुफ ने मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत में बताया कि यह घोटाला जिला परिषद कार्यालय से शुरू होता है। कार्यालय में नियुक्त एपीओ वरुण पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- वरुण की ठेकेदारों और अधिकारियों से कमीशन तय है।
- बीडीपीओ, एबीपीओ, जेई और ग्राम सचिव भी इस भ्रष्टाचार का हिस्सा हैं।
- यूसुफ का कहना है कि यदि वरुण को हटाया जाए, तो घोटाले पर लगाम लग सकती है।
सरकार की व्यवस्था और घोटालेबाजों का खेल
सरकार ने मनरेगा को पारदर्शी बनाने के लिए जिओ टैगिंग और एनएमएमएस जैसे उपाय लागू किए। लेकिन ठेकेदार और अधिकारी इसे भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। फर्जी हाजिरी लगाकर मजदूरों को उनकी मेहनत की कमाई से वंचित किया जा रहा है।
शिकायत और कार्रवाई की मांग
समाजसेवी यूसुफ और अन्य जागरूक नागरिकों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि इस घोटाले की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही मनरेगा एपीओ वरुण को तुरंत नूंह से स्थानांतरित करने की मांग की गई है।
सरकार की जिम्मेदारी
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देना और मजदूरों को उनके अधिकार दिलाना है। लेकिन इस तरह के घोटाले न केवल योजना की साख को कमजोर करते हैं, बल्कि गरीब मजदूरों के हक पर डाका डालते हैं। सरकार को इस मामले में त्वरित और कड़ी कार्रवाई कर यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को सजा मिले और इस तरह के भ्रष्टाचार पर रोक लगे।