छोटे को Train की चपेट से बचाने दौड़ा बड़ा भाई , मौके पर हो गई दोनों भाई की मौत, दीवाली मनाने आया था घर

रविवार रात 9 बजे पानीपत-रोहतक में रेलवे ट्रैक पर Train की चपेट में आने से दो भाइयों, मनीष जो 28 साल का था और आशीष जो 25 साल का था, की दुखद मौत हो गई। वे राजनगर नामक स्थान पर रहते थे।

भैया दूज नामक छुट्टी के दिन अपनी बहन से तिलक नामक विशेष चिन्ह प्राप्त करने के बाद दो लोग टहलने गए थे। पुलिस ने जाँच की कि उनके साथ क्या हुआ और फिर उनके शव उनके परिवार को वापस कर दिए गए। मनीष नामक व्यक्ति की मुजफ्फरनगर नामक स्थान पर कपड़ों की दुकान थी और वह अपने परिवार के साथ वहाँ रहता था। वह दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए अपने परिवार से मिलने आया था।

आशीष पानीपत नामक शहर में राज ओवरसीज नामक स्थान पर काम करता था। एक रविवार, जो भैया दूज नामक एक विशेष दिन होता है, उसने और उसके भाई ने अपनी बहन से विशेष आशीर्वाद लिया और फिर स्कूटर पर सवार हो गए। उन्होंने स्कूटर को ट्रेन की पटरियों के पास खड़ा किया, और जब आशीष पास में बाथरूम जा रहा था, तो उसने एकता एक्सप्रेस नामक एक तेज़ ट्रेन को आते हुए नहीं देखा। उसके भाई मनीष ने उसे ट्रैक से दूर ले जाने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से वे दोनों ट्रेन की चपेट में आ गए।

परिवार एक साथ दिवाली मनाकर बहुत खुश था, लेकिन फिर उन्हें एक बहुत ही दुखद खबर मिली: दोनों भाई ट्रेन की चपेट में आ गए। पुलिस ने परिवार को बताया, और जब वे उस जगह पहुंचे जहां यह घटना हुई थी, तो उन्हें पता चला कि दोनों भाई पहले ही मर चुके थे।

पिता दिनेश कुमार ने बताया कि थोड़ी देर पहले मनीष ने उन्हें फोन करके कहा, “पापा, इस बार हम साथ में दिवाली मनाएंगे!” मनीष का परिवार राजनगर नामक जगह की गली नंबर दो में रहता है। पिता दिनेश रेड क्रॉस में काम करते हैं।

मनीष और आशीष ने भाई दूज के लिए अपनी छोटी बहन साक्षी के साथ मंगल तिलक नामक एक विशेष समारोह किया। यह दुर्घटना से लगभग दो घंटे पहले हुआ था। समारोह के बाद, उन्होंने कुछ खाया और फिर अपने स्कूटर पर सवार होकर चले गए।

मनीष की एक पत्नी और दो बच्चे थे, एक आठ वर्षीय बेटा जिसका नाम मंदीप था और एक चार वर्षीय बेटी जिसका नाम रिया था। आशीष की पत्नी और दो बच्चे भी थे, एक तीन साल की बेटी जिसका नाम दिशानी है और एक छोटा बेटा जिसका नाम वीरेन है जो अभी डेढ़ साल का है। अब, इन चारों बच्चों के पिता नहीं रहे और यह बात उन्हें बहुत दुखी करती है। उनके पिता दिनेश अपने बेटों को खोने से इतने दुखी हैं कि उन्हें बेहोशी सी महसूस होती रहती है।

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