हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि Milk एक सुपर फूड है। क्योंकि इसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं| यही कारण है कि लोग सुबह-शाम Milk पीना पसंद करते हैं। कई लोग अच्छी सेहत के लिए कच्चे Milk का भी सेवन करते हैं। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं| क्योंकि कच्चे Milk का सेवन करने से आप पेट की TV का शिकार हो सकते हैं।
अगर आप बार-बार फूड पॉइजनिंग और अपेंडिसाइटिस के दर्द से पीड़ित हैं या उल्टी, दस्त और अचानक भूख न लगने और वजन कम होने की शिकायत करते हैं, तो ये लक्षण पेट की टीबी हैं। हो सकता है बहुत से लोग कच्चे Milk का सेवन करते हैं और यह पेट की टीबी का मुख्य कारण हो सकता है।
डॉक्टर के मुताबिक जो लोग कच्चा Milk पीते हैं, उन्हें पेट की टीबी, कैंसर होने की संभावना रहती है। यह संभावना तब और भी बढ़ जाती है जब Milk देने वाली गाय को पेट की टीबी हो।
उन्होंने आगे कहा कि हमने देखा है कि आज भी कई जगहों पर ग्रामीण इलाकों में कच्चा Milk या कच्चे Milk से बनी दही का सेवन किया जाता है| यदि गाय संक्रमित है, तो टीबी का वायरस गाय के दूध के माध्यम से व्यक्ति तक पहुंच सकता है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के फेफड़ों में टीबी है तो इसका वायरस पेट या सिर तक पहुंच जाता है। इससे पेट का क्षय रोग तथा मस्तिष्क का क्षय रोग हो जाता है। पेट का क्षय रोग, जिसे गैस्ट्रो-आंत्र तपेदिक भी कहा जाता है, पेरिटोनियम और लिम्फ में होता है। इसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता. इसका निदान कोलोनोस्कोपी, एंडोस्कोपी और लिम्फ नोड बायोप्सी द्वारा किया जा सकता है।
पेट की टीबी से बचाव के तरीके
फेफड़े की टीबी की तरह ही पेट की टीबी का भी समय रहते इलाज किया जा सकता है। 6 से 12 महीने तक इलाज से मरीज ठीक हो सकता है। इस संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि कच्चे Milk का सेवन न करें। साथ ही टीबी के मरीज को खांसते और बात करते समय उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इससे आप अपना बचाव कर सकते हैं|