Haryana और पंजाब में धान की कम खरीद पर हमलावर हुई कांग्रेस, सुरजेवाला बोले- किसानों को दी जा रही किसान आंदोलन की सजा

कांग्रेस इस बात से बहुत परेशान है कि Haryana और पंजाब में किसान पर्याप्त चावल नहीं बेच पा रहे हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला नाम के एक नेता ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान जो कुछ हुआ, उसके कारण इन जगहों पर किसानों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। किसानों को उनके चावल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए, चावल बेचने वाले किसानों की संख्या और खरीदे जाने वाले चावल की मात्रा को आधे से भी कम कर दिया गया है। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने बहुत सारा पैसा छीन लिया है जिससे लोगों को खाद, भोजन और ईंधन जैसी ज़रूरी चीज़ें खरीदने में मदद मिलती है।

2020-21 में उन्होंने इन चीज़ों की मदद के लिए बहुत पैसा दिया, लेकिन अब वे बहुत कम दे रहे हैं। पिछले दो सालों में उन्होंने खाद्यान्न के पैसे में बड़ी कटौती की है, और इसका मतलब है कि किसानों और गरीब मज़दूरों को इसकी वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस के एक सदस्य ने कहा कि इस साल पंजाब और Haryana के किसान पिछले साल से कम चावल बेच रहे हैं। हरियाणा में बहुत से किसानों ने विशेष मूल्य पर अपना चावल बेचने के लिए पंजीकरण कराया था, लेकिन उनमें से बहुत से किसानों को अभी तक अपना चावल बेचने का मौका नहीं मिला है। पिछले साल उन्होंने लगभग 59 लाख टन चावल बेचा था, लेकिन इस साल अब तक वे केवल 37 लाख टन ही बेच पाए हैं। चावल बेचने का समय 15 नवंबर को समाप्त हो जाएगा।

पंजाब में पिछले साल किसानों ने 1.11 करोड़ टन धान बेचा था, जो एक प्रकार का चावल है। इस साल अब तक वे केवल 49.84 लाख टन ही बेच पाए हैं, जो पिछले साल की तुलना में आधे से भी कम है। साथ ही, धान बेचने के लिए पंजीकरण कराने वाले किसानों की संख्या 798,000 से घटकर केवल 322,000 रह गई है।

हमारे देश में ऐसे किसान हैं जो चावल उगाते हैं और वे इसे MSP नामक विशेष मूल्य पर बेच सकते हैं। अभी, बहुत कम किसान अपना चावल बेचना चाहते हैं – 1 करोड़ 11 लाख में से केवल लगभग 51 लाख। अब तक सरकार ने सिर्फ़ 92.46 लाख टन चावल खरीदा है, लेकिन उन्हें और भी बहुत कुछ खरीदना है- 7 करोड़ 19 लाख टन! बाकी खरीदने के लिए सिर्फ़ 15 दिन बचे हैं। वे ऐसा कैसे करेंगे?

कांग्रेस के नेता ने कहा कि किसानों को चावल बेचने में मदद करने वाले लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करने की योजना है। उन्हें अपने काम के लिए थोड़ा पैसा मिलता था, लेकिन अब उन्हें बहुत कम मिलता है। हरियाणा और पंजाब राज्यों में 9,000 से ज़्यादा जगहें हैं जो पौधों से चावल को हमारे खाने लायक चावल में बदल देती हैं। सरकार ने किसानों को उगाने के लिए ख़ास तरह के चावल के पौधे दिए। आमतौर पर, जब ये जगहें चावल बनाती हैं, तो उन्हें इसका एक बड़ा हिस्सा सरकार को देना पड़ता है, जो कि चावल के हर 100 बैग में से 67 होता है। लेकिन चावल की जगह चलाने वाले लोगों का कहना है कि यह सिर्फ़ 62 बैग होना चाहिए।

जब किसान चावल उगा रहे थे, तब केंद्र सरकार उनकी मदद करने का कोई तरीक़ा नहीं खोज पाई। चावल बिकने के बाद, उन्होंने इस समस्या पर विचार करने के लिए एक समूह बनाया। लेकिन समूह ने अपनी रिपोर्ट पूरी नहीं की है, समस्या अभी भी हल नहीं हुई है, और किसान अभी भी अपना चावल उचित मूल्य पर नहीं बेच पा रहे हैं। किसान को अपना चावल 2300 रुपये प्रति बड़ा बैग बेचना था, लेकिन इसके बजाय उसे 2000 से 2100 रुपये में ही बेचना पड़ रहा है। हरियाणा में चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा था कि वे 8 अक्टूबर के बाद हर बड़े बैग के लिए 3100 रुपये में चावल खरीदेंगे। लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version