पंजाब सरकार को हुए तीन लाख करोड़ रुपये के घाटे का असर अब यूनिवर्सिटी और कॉलेज स्टूडेंट्स पर देखने को मिल रहा है। इस बार Punjab University ने पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के आधार पर दाखिले बंद कर दिए थे। पंजाब यूनिवर्सिटी ने मांग की थी कि छात्र पहले स्कॉलरशिप फीस जमा करें, जिसके बाद उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी या उससे संबद्ध पंजाब में स्थित कॉलेजों और क्षेत्रीय संस्थानों में दाखिला दिया जाएगा।
यूनिवर्सिटी के आदेश के खिलाफ अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एक हफ्ते तक धरना दिया, जिसके बाद पीयू बैकफुट पर आ गया है और छात्रों से शपथ पत्र लेकर एडमिशन देने का फैसला किया है. पंजाब यूनिवर्सिटी के इस फैसले से पंजाब यूनिवर्सिटी और उससे संबद्ध पंजाब स्थित कॉलेजों में पढ़ने वाले दो हजार से ज्यादा छात्र प्रभावित हो रहे थे. हालांकि पीयू ने कई दौर की बैठकों के बाद छात्रों को प्रवेश दे दिया है, लेकिन इस मामले में कोई भी अधिकारी पंजाब सरकार के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है।
साल 2018 के बाद पंजाब में एससी-एसटी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर काफी घोटाला हुआ। पंजाब के विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने फर्जी छात्रों के नाम बताकर लाखों रुपये का घोटाला किया था। घोटालों से बचने के लिए पंजाब सरकार अब शिक्षण संस्थान को छात्रवृत्ति अनुदान देने के बजाय सीधे छात्र के खाते में राशि ट्रांसफर कर रही है।
वर्ष 2022 और 23 में पंजाब सरकार ने समय पर अनुदान जारी नहीं किया, जिसके कारण सैकड़ों छात्रों की फीस शिक्षण संस्थानों में फंस गई है और फीस का भुगतान नहीं किया गया है। पुराने छात्रों द्वारा फीस न भरने के कारण पंजाब यूनिवर्सिटी ने इस साल फीस लेकर छात्रों को दाखिला देने की घोषणा की थी।
राज्य सरकार पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का 40 फीसदी हिस्सा देती है. राज्य सरकार की ओर से अनुदान देने के बाद 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है. पिछले दो वर्षों से पंजाब सरकार ने अनुदान का 40 प्रतिशत हिस्सा नहीं दिया है, जिसके कारण केंद्र ने भी अपने हिस्से का अनुदान रोक दिया है।
पंजाब यूनिवर्सिटी के रवैये से छात्र नाराज हैं. पीयू प्रबंधन को पंजाब सरकार से बात कर जल्द से जल्द स्कॉलरशिप ग्रांट जारी करनी चाहिए ताकि भविष्य में फीस को लेकर कोई दिक्कत न हो।