Alauddin Khalji: अलाउद्दीन खिलजी एक मुग़ल बादशाह था जिसका इतिहास बहुत ही क्रूर शासकों में लिखा गया है आइए जानते हैं इतिहास के इस शासक के बारे में, मरने के बाद इसके हरम की औरतों का क्या हुआ।
Alauddin Khalji
अलाउदीन खिलजी के मरने के बाद उसकी सल्तनत का क्या हुआ? अलाउद्दीन के मरने के बाद उसके हरम की महिलाएं और उसकी पत्नी आखिर कहाँ गई? क्या उन्होंने किसी और से शादी कर ली या फिर कोई और राजा उन्हें जीत कर ले गया? ये सब बातें आपके मन में भी कभी कभी उठती होंगी कि आखिर खिलजी जैसा चालाक और ताकतवर सुल्तान जिसने औरतों को जीतने के लिए इतनी सारी जंग की तो आखिर उसने अपने अंतिम समय में भी अपनी पत्नियों के लिए कुछ ना कुछ सोचकर तो जरूर रखा होगा।
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Alauddin Khalji Ke Bare Mein Jankari Hindi Me
दोस्तों आज का ये लेख बहुत ही ज्यादा रोमांचक होने वाला है क्योंकि आज हम आपको Alauddin Khalji और उसकी पर्सनल जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य बताने वाले हैं जो आपने आज तक किसी से नहीं सुने होंगे। अलाउदीन खिलजी इतिहास का एक ऐसा नाम था जिसे सुनते ही आसपास के छोटे मोटे राज्य के राजा खुद ही शस्त्र छोड़कर अपने आप हार मान लेते थे। दोस्तों खिलजी जितना ताकतवर था उससे कहीं ज्यादा वो शातिर दिमाग का था।
मलिक कफूर से मिलने से पहले। उसने जीतने भी युद्ध जीते थे। वे सारे उसने अपने दिमाग के बल पर जीते थे। Alauddin Khalji ने जीते जी बहुत सारे मंदिरों और इमारतों को खंडहर करके उनकी जगह मस्जिदें बनवा दी। उसके हरम में अधिकतर हिंदू महिलाएं थी। उसका कहना था कि हिंदू महिलाएं मुस्लिम महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा भरोसेमंद होती है। यही कारण था कि उसकी चार शादियों में तीन पत्नियां हिंदू थी। उसकी एक बीवी जिसका नाम मल्लिका ऐ जहाँ था जो कि उसके सगे चाचा की लड़की यानी कि उसकी बहन थी। उसने उसी से शादी की थी।
उसने मल्लिका ऐ जहाँ से इसलिए शादी की थी क्योंकि वो अपने चाचा जलालूद्दीन खिलजी की सल्तनत को हथिया कर उनकी जगह लेना चाहता था। मल्लिका आए जहाँ से शादी के बाद उसने अपने चाचा यानी की मलिका ए जहाँ के पिता यानी की जलाउद्दीन खिलजी की हत्या करके उनकी सल्तनत को कब्जे में कर लिया और उनकी गद्दी पर राज़ करने लगा। ये एक लड़ाई और जीत के तौर पर Alauddin Khalji की पहली सफलता थी।
जलाउद्दीन के मरने के बाद जलाउद्दीन की सारी रखेल और उसके सारे सिपाहियों को अपने हक में मिलाकर उन पर कब्जा करके Alauddin Khalji का जज्बा सातवें आसमान पर था। लेकिन कहते हैं ना की जो इंसान सफलता को पाने के लिए गलत रास्तों का इस्तेमाल करता है, वो जितनी जल्दी सफल होता है उतनी ही जल्दी सफलता की सीढ़ियों से नीचे गिरता है।
अलाउद्दीन ने अपनी ताकत और चतुराई से जो भी कमाया वो सब मिट्टी में मिलने में देर नहीं लगे। Alauddin Khalji जब अपने जीवन के अंतिम पलों को मुश्किल के साथ काट रहा था तब उसने अपनी पहली पत्नी मलिका ए जहाँ को अपने पास बुलाया और कहा।
कि जब मैं मर जाऊं तो तुम अपनी जिंदगी को रोककर नहीं बल्कि हंसकर काटना। अगर तुम किसी से प्रेम करती हो तो उसके पास चली जाना क्योंकि अभी तुम जवान और खूबसूरत हो। तुम्हारे पास तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी हुई है और तुम मेरे वियोग में अगर रोना शुरू कर दोगी तो तुम अपनी जवानी और अपने जीवन के मज़े नहीं ले पाओगे।
दोस्तों ये बातें सुनकर लग रहा होगा की Alauddin Khalji कितना नेकदिल था जो कि अपनी बीवी से ऐसी बातें बोल रहा था। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं था। दरअसल अलाउद्दीन खिलजी के बाद उसके वंश में दूसरा कोई ऐसा नहीं था।
जो उसकी जगह ले सके और ना ही खिलजी वंश में कोई ऐसा शासक था जो कि Alauddin Khalji के मरने के बाद उसके जैसी ताकत और दिमाग रखता हों। हालांकि अलाउद्दीन के बाद अलाउद्दीन का खास वजीर और उसका प्रेमी मालिक कफूर था, जो कि अलाउद्दीन के बीमार होने पर सारे बड़े फैसले लेने लगा था। अलाउद्दीन उससे इतना ज्यादा प्यार करता था कि मालिक कफूर के हर फैसले को वह अपना फैसला बता देता था।
यूं तो Alauddin Khalji के बाद उसकी विरासत और उसके पूरे राज्य को हथियाने का पूरा षड्यंत्र मालिक काफूर ने रच ही लिया था, लेकिन सारे राज्य और सल्तनत को पता था कि मालिक काफूर एक हिजड़ा है जिसे 1299 में गुजरात के एक बाजार से खरीदा गया था और वो एक हिंदू ब्राह्मण है जिसकी वजह से अलाउद्दीन की वज़ीर उससे और भी ज्यादा चिड़ते थे।
हालांकि बाद में उसे मुस्लिम बना दिया गया था, लेकिन अलाउद्दीन के वजीर शुरुआत में उससे चिढ़ाते थे। उसका एक बड़ा कारण ये भी था कि मालिक का अपनी सुंदरता और अपने युद्ध कौशल से Alauddin Khalji का दिल जीत लिया था।
और कभी कभी वो रात में Alauddin Khalji का दिल भी बहलाता था। हमारी बातों से आप समझ रहे हैं कि हम क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं? लेकिन अलाउद्दीन के वजीरों ने पहले से ही अपनी एकता में एकजुट होकर यह प्रण कर लिया था कि मालिक काफूर को हम सुल्तान किसी भी हालत में नहीं बनने देंगे। यह बात तब की है जब मालिक काफूर दक्षिण भारत के दौरे पर था। उस समय Alauddin Khalji की हालत बहुत ज्यादा खराब थी और अलाउद्दीन बार बार मालिक काफूर को याद कर रहा था।
कुछ इतिहासकारों की मानें तो अलाउद्दीन को मालिक कपूर की याद इतनी ज्यादा आने लगी की वो मालिक काफूर के लिए रात भर रोता था जब उसकी पत्नी या उसके साथ रात बिताने को कहती थी। तब वो सिर्फ इतना कहता था कि मालिक काफूर के उसमें जो बात है वो तुम में नहीं है।
जिसकी वजह से कुछ दिनों के बाद उसकी बीवियों ने भी उसके पास आना छोड़ दिया था। दोस्तों समय की नजाकत को देखते हुए भी अलाउद्दीन यही चाहता था कि उसके बाद मलिक काफूर ही खिलजी वंश का सुल्तान बने। Alauddin Khalji ऐसा इसलिए चाहता था क्योंकि उसे पता था कि मालिक काफूर एक हिजड़ा है तो मालिक काफूर से उसकी किसी भी बीवी को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा। और वैसे भी जब से अलाउद्दीन मालिक काफूर को वजीर बनाया था, तब से उसके सर पर केवल और केवल पूरे भारत को जीतने का भूत सवार था।
और दक्षिण भारत को जीत कर उसने Alauddin Khalji का दिल और भी ज्यादा जीत लिया था। लेकिन कहते हैं की जो इंसान चाहता है वो हमेशा नहीं होता। अगर इंसान का चाहा हुआ होने लगे तो इंसान और भगवान में अंतर ही क्या रह जायेगा? इस बात को लेकर Alauddin Khalji ने अपने वजीरों से मालिक काफूर के बारे में बात की तो सबने इस बात का विरोध किया और कहा कि उसने भले ही बाद में इस्लाम कुबूल लिया हो, लेकिन है तो वह एक ब्राह्मण ही और क्या पता कल को अगर मालिक ने धोखे से सभी को मारने की कोशिश की तो हम सब क्या कर सकते हैं?
इसके बदले में Alauddin Khalji ने कहा कि मैं सालों से मालिक को जानता हूँ, वो ऐसा नहीं करेगा और ना ही मालिक का फूल हमारी रानियों पर कभी गंदी नजर डालेगा। इस पर एक बूढ़े वजीर ने कहा कि वो एक हिजड़ा है औरतों पर तो वो वैसे भी नजर नहीं डालेगा, लेकिन सोचिये अगर उसने रानियों को जान से मार दिया तो फिर क्या होगा? ये सारी बातें बहस पर खत्म हुई जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। लेकिन इन सारी बातों के कुछ दिन बाद ही अचानक खबर आई कि अलाउद्दीन ने रात में आखिरी सांस ली।
यह सुनते ही राज्य के वजीर जो अभी तक Alauddin Khalji के हर फैसले की इज्जत करते थे और उसके फैसले का इंतजार किया करते थे, उन्होंने बिल्कुल भी देर नहीं की और तुरंत उन सारे वजीरों को खबर की जो राज्य से दूर थे। इस दौरान मलिक काफूर को भी खबर मिल गई। काफूर के पास खबर पहुंचते ही वो महल में आया और खिलजी को दफनाने के बाद ही काफूर ने उसी शाम को यह ऐलान कर दिया कि वो कल सुबह सूर्य होने के साथ ही राजगद्दी पर बैठेगा।
ये खबर सुनते ही सारे वज़ीरों में अफरा तफरी मच गई और सारे वजीरों ने मिलकर रात में कुछ सैनिकों को बुलाकर मालिक काफूर पर हमला करवा दिया और मालिक काफूर को जान से मरवा दिया। ये वो समय था जब पूरे महल में किसी का राज़ नहीं था और कोई भी कुछ भी कर सकता था। इसी बीच रात में कुछ वजीरों ने देखा कि महल के बुड्ढे हकीम जो कि रानियों की देखभाल किया करते थे और उन्हें दवाइयां दिया करते थे, वो हरम की रानियों के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं। अलाउद्दीन जब जिंदा था तब उसे अपने वंश की बहुत चिंता थी।
और वो सोचता था कि मेरे मरने के बाद कहीं मेरे ही आसपास की रियासत के राजा मेरे राज्य पर आक्रमण करके कहीं उसे जीत ना ले और मेरी रानियों को बंदी न बना लें। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके ही राज्य के लोग ऐसे हैं जो उसी की रानियों की आंतरिक इच्छाओं को पूरा कर रहे हैं और साथ ही खुद भी मज़े ले रहे हैं।
अलाउद्दीन के मरने के बाद यह सिलसिला काफी दिनों तक चला। बता दें, Alauddin Khalji अपने आखिरी समय में यौन रोगों से पीड़ित था। उसने जीवनभर केवल और केवल संबंध ही बनाए थे। जीस वजह से आखिरी समय में उसका जो हाल हुआ वो बहुत ही दर्दनाक था। वो जहाँ से भी निकलता था वहाँ की हर उस औरत की इज्ज़त को तार तार कर देता था, जो उसके रास्ते में आती थी। कहते हैं जब उसने पश्चिमी भारत के एक छोटे से गांव पर आक्रमण किया तब उसे एक घर में एक छोटी सी बच्ची दिखी, जिसकी उम्र करीब 17 साल थी।
Alauddin Khalji ने उस बच्ची की इज्जत को उसी की माँ के सामने तार तार कर दिया था और फिर बच्ची को मार दिया था। कहते हैं कि उस बच्ची की माँ ने खिलजी को बहुत बुरी बुरी बद्दुआ दी थी और उसी के बाद से खिलजी का बुरा समय शुरू हो गया था। खिलजी के मरते ही उसके कुछ वजीर जो इस बात को समझ गए थे कि अब इस वंश का अंत होना तय है।
वो खिलजी द्वारा हथियाई कुछ जमीन का भाग और कुछ सोना चांदी लेकर अलग हो गए थे, लेकिन कुछ वजीर खिलजी की हरम की रानियों में फंस गए और उनके सौंदर्य और हुस्न में डूब गए और उनसे अपने जिस्म की आग बुझाने लगे।
क्योंकि Alauddin Khalji वैसे भी कई दिनों से बीमार था और उसके मर जाने के बाद कोई नहीं था जो उसके हरम की औरतों का ख्याल रख सके। जिस वजह से उसके हरम की औरतें दरबान और सिपाहियों को ही अपने कक्ष में बुलवाने लगी थीं। लेकिन इन महिलाओं की इच्छाओं को खिलजी के हकीम पूरा करते थे क्योंकि उनको दवाओं और जड़ी बूटियों की काफी जानकारी थी जिनको खाकर वो हरम की महिलाओं को पूरी तरह से संतुष्ट कर देते थे।
यही कारण था कि हरम की खूबसूरत लड़कियां और औरतें जवान और हष्टपुष्ट सिपाहियों को छोड़कर बूढ़े हकीमों की तलाश में रहती थी। दोस्तों 1316 ईस्वी में खिलजी की मृत्यु हुई थी और मात्र 4 साल के अंदर ही यानी की 1320 में खिलजी वंश का खात्मा हो गया। क्योंकि खिलजी वंश दिनों दिन कमजोर होता चला जा रहा था, जिसकी वजह से यासुददीन तुगलक ने मौके का फायदा उठाया और Alauddin Khalji के राज्य पर आक्रमण कर दिया और पूरे राज्य को जीत लिया। इस तरह से पूरा खिलजी वंश खत्म हो गया और तुगलक वंश का जन्म हुआ।
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