पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों की मांगों को लेकर संघर्षरत भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष, Jagjit Dallewal की बिगड़ती सेहत पर चिंता व्यक्त करते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष, एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांगों को तुरंत स्वीकार करना चाहिए।
एडवोकेट धामी ने कहा, “एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को ‘अन्नदाता’ कहकर संबोधित करते हैं, जबकि हकीकत यह है कि आज वही अन्नदाता सड़कों पर संघर्ष करने को मजबूर हैं। सरकारें उन पर अत्याचार कर रही हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी किसानों का जायज़ और वाजिब अधिकार है। अगर केंद्र सरकार चाहती है कि किसान संघर्ष छोड़कर अपने घरों को लौटें, तो उन्हें बिना देरी किए संसद में MSP गारंटी कानून पारित करना होगा।
एडवोकेट धामी ने यह भी कहा कि किसान नेता एस. जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत लगातार बिगड़ रही है। अगर उन्हें कोई नुकसान होता है, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी केंद्र के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा की सरकारों पर होगी। उन्होंने सिख परंपराओं और सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि भूख हड़ताल का समर्थन नहीं किया जा सकता। इसीलिए उन्होंने किसान नेता, विशेष रूप से एस. जगजीत सिंह डल्लेवाल से अपील की कि वे अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए संघर्ष को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ाएं, ताकि सरकारों पर उचित दबाव डाला जा सके और किसानों की मांगें पूरी हो सकें।