Panchkula: घर से निकलती थी तो लोग कहते थे, छोरियां कबड्डी में क्या करेंगी, अब कबड्डी की बदौलत देश सेवा में जुटी - Trends Topic

Panchkula: घर से निकलती थी तो लोग कहते थे, छोरियां कबड्डी में क्या करेंगी, अब कबड्डी की बदौलत देश सेवा में जुटी

Panchkula

`Panchkula में गांव के लोगों ने कभी हमें स्पोर्ट नहीं किया। जब भी कबड्डी खेलने के लिए घर से निकलते थे तो पीछे से लोग मेरे बेबे-बापू को यही कहते थे कि इनका कबड्डी में क्या काम है। इनका काम तो घर पर है, ये तो चूल्हों पर काम करने के लिए हैं। उस वक्त मेरे मां-बाप गांव के लोगों की बातों में आ जाते तो मैं कभी भी कबड्डी नहीं खेल पाती। `Panchkula में गांव के लोगों ने कभी हमें स्पोर्ट नहीं किया। जब भी कबड्डी खेलने के लिए घर से निकलते थे तो पीछे से लोग मेरे बेबे-बापू को यही कहते थे कि इनका कबड्डी में क्या काम है। इनका काम तो घर पर है, ये तो चूल्हों पर काम करने के लिए हैं। उस वक्त मेरे मां-बाप गांव के लोगों की बातों में आ जाते तो मैं कभी भी कबड्डी नहीं खेल पाती।

मेरे पिता विजय कुमार हमेशा कहते है कि जो मेरी बेटी चाहती है, वह वही करेगी। गांव के लोग जिस कबड्डी के बारे में मेरे लिए घर वालों को कुछ-कुछ बातें बोलते थे, आज उसी कबड्डी की बदौलत मैं देश की सेवा करने लायक बन गई हूं। मैं एक प्लेयर के साथ आज देश की सुरक्षा के लिए भी तैयार हूं।

यह कहना है हरियाणा के झज्जर में रहने वाली सिमरन का, जो कबड्डी की बदौलत आज आईटीबीपी में सिपाही के पद पर नियुक्त हुई है। सिमरन ने बताया, 7 साल पहले 9वीं क्लास में उसने कबड्डी खेलनी शुरू की थी और नेशनल लेवल पर कई मेडल जीत चुकी है। दरअसल, गत दिवस आईटीबीपी भानू में 26वें स्पोर्ट्स कंडेंस कोर्स में 66 जवान शामिल हुए।

इस दौरान दीक्षांत व शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें आईटीबीपी बीटीसी भानू के आईजी आनंदपाल सिंह निंबाड़िया चीफ गेस्ट रहे। इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेने वाले हिमवीर और हिमवीरांगनाएं नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर अलग अलग स्पोर्ट्स में मेडल जीत चुके है।

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