पंचकूला स्थित मोरनी के जंगलों में आग को लेकर एक जनहित याचिका पर पंजाब एवं Haryana हाईकोर्ट ने Haryana सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस अर्चना पुरी और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने पूछा कि क्या मौजूदा समय में भी आग लगी हुई है। साथ ही हरियाणा सरकार बताए कि आग को काबू करने के लिए क्या जरूरी कदम उठाए गए। कुरुक्षेत्र निवासी वैभव वत्स व अन्यों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि मोरनी फॉरेस्ट के जंगल इलाके में 21 मई से आग लगी हुई है।
याची पक्ष की तरफ से दावा किया गया कि मौजूदा समय में भी जंगल में आग सक्रिय है और यह आसपास के इलाकों तक बढ़ रही है। इसके चलते न केवल मानव बल्कि जंगली जीवों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इससे पर्यावरण असंतुलन का खतरा भी बढ़ गया है। याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय वन नीति और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 सहित कई कानूनी और नीतिगत ढांचों का उल्लंघन किया है, जो वन क्षेत्र के संरक्षण और पर्यावरणीय संसाधनों की सुरक्षा को अनिवार्य बनाते हैं।
आग ने जंगल की कई प्रजातियों को विस्थापित कर दिया है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण सिद्धांतों का उल्लंघन है। ऐसे में सरकार को इस पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं। हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि उन्हें इस याचिका की प्रति नहीं दी गई है। ऐसे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। खंडपीठ ने इस पर याचिका की प्रति हरियाणा सरकार के वकील को मुहैया कराने के निर्देश दिए और आगे सरकार को इस पर लिखित में जवाब दायर करने को कहा।
पूर्व विधायक के खिलाफ भड़काऊ भाषण के मामले में एफआईआर खारिज
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में पूर्व विधायक रोशन लाल आर्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज करने के आदेश दिए हैं। आर्य के खिलाफ वर्ष 2017 में कैथल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। रोशन लाल आर्य की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि उसके खिलाफ कैथल में देशद्रोह सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
याची ने कहा कि इस मामले से उसका कोई लेना देना नहीं है और उसे राजनीतिक रंजिश के चलते फंसाया जा रहा है। पुलिस ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए याचिकाकर्ता को फंसाया है। ऐसे में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए और याचिका लंबित रहते निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। इस दौरान याची को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत भी मिल गई थी। हाईकोर्ट ने अब सभी पक्षों को सुनने के बाद याची को राहत देते हुए एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया है।