Haryana के बहुचर्चित पेंशन घोटाले में सीबीआई की जांच पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने फैसले में कहा कि पेंशन घोटाला किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। अधिकारी रिटायर हो गए हैं यह कह कर विभाग इस मामले में पल्ला नहीं झाड़ सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि हैरानी की बात है कि मृतकों की पहचान से कोई संबंध न रखने वाले एक चपड़ासी को आरोपी बनाया गया जबकि विभाग अधिकारियों के रिटायर होने की बात कह अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं। यही नहीं पेंशन लेने वाले मृतकों की शिनाख्त स्थानीय पार्षदों ने की।
ऐसे में क्या इन पार्षदों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने सीबीआई से इन सवालों के जवाब मांगे हैं। मामले पर 9 अगस्त के लिए सुनवाई तय की गई है। सीबीआई ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में दी है। रिपोर्ट में सभी जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को घोटाले के लिए दोषी ठहराया गया है। सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2012 में पेंशन वितरण अनियमितताओं के मामले में सरकार के हाईकोर्ट में दिए गए आश्वासन के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हाईकोर्ट ने कहा कि 12 साल बाद भी सरकार इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है। ऐसे में यह अवमानना का मामला बनता है। हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय विभाग के महानिदेशक व प्रधान सचिव को अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के मामले में कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक सभी अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वर्ष 2012 से जितने भी समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव व महानिदेशक रहे वे सभी प्रथम दृष्ट्या अदालत की अवमानना के दायरे में है।
कुरुक्षेत्र निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस के वकील प्रदीप रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि कुरुक्षेत्र में एक एफआईआर दर्ज कर एक अधिकारी से 13,43,725 रुपए बरामद किए गए हैं। सरकार जांच को कुरुक्षेत्र तक ही सीमित रखना चाहती है जबकि कैग की रिपोर्ट में पूरे हरियाणा में घोटाला उजागर हुआ था।
हाईकोर्ट ने इस पर सीबीआई को जांच के आदेश दिए थे। याचिका में कहा गया कि समाज कल्याण विभाग ने उन लोगों को भी पेंशन का भुगतान कर दिया जो जिंदा नहीं है या पेंशन लेने की योग्यता को पूरा करने करते। इस तरह करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। हरियाणा में यह घोटाला वर्ष 2011 में हुआ था। उस समय कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। याचिका में आरोप लगाए गए कि उन लोगों को पेंशन का भुगतान कर दिया गया जो इसके पेंशन हकदार नहीं थे। राज्य के इस घोटाले का खुलासा वर्ष 2011 में कैग की रिपोर्ट में भी हो चुका है |