El NINO: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्तमान में हमारा अस्तित्व संकट में है क्योंकि अब हमें निरंतर एल नीनो और ला नीनो जैसे खतरों से जूझना है।
EL NINO क्या है और क्या हैं इससे उत्पन्न संकट
हम में से कई लोग ये सुनते हुए बड़े हुए हैं कि जलवायु बदल रही है। पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, लेकिन इससे फायदा क्या। जलवायु के इस घातक परिवर्तन से निपटने के लिए मनुष्यों ने कुछ नहीं किया है और इसलिए वर्ष 2024 दुनिया की सबसे गर्म और सबसे खराब प्राकृतिक आपदा का वर्ष होने जा रहा है और इसका असर दुनिया के हर इंसान पर पड़ेगा। क्योंकि विशेषज्ञों के मुताबिक 2024 में भी दुनिया में वो विनाशकारी गतिविधियों होने वाली है जो आखिरी बार 1982 में हुई थी।
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तब विश्व में प्लेग के कारण महामारी फैल गई थी। तब दुनिया का एक हिस्सा पानी में डूबा हुआ था और दूसरा हिस्सा आग से जल रहा था। मूलतः 1982 में नॉर्थ और साउथ अमेरिका में लगातार बारिश हो रही थी और इस बारिश की वजह से मच्छरों की पैदावार बढ़ गई थी, जिससे एक घातक मस्तिष्क रोग पैदा हुआ था। इससे 2000 लोगों की मौत भी हो गई थी।
दूसरी ओर न्यू मेक्सिको प्लेग रोग से परेशान था। मरने वालों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और पेरू में उस समय इतिहास का उच्चतम बाढ़ हुआ था। इस बीच अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और हमारा एशिया एक ही समय में आग और गंभीर सूखे का सामना कर रहे थे, साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में पृथ्वी के घ्रुणन को भी प्रभावित किया था।
उदाहरण के लिए उस समय दिन की लंबाई 0.02 मिली सेकंड बढ़ गई थी। सामान्य तौर पर देखा जाए तो ये घटनाएं कुछ भी नहीं लगती, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इन सभी घटनाओं के पीछे मूलतः एक ही कारण है और वह है El NINO। इसे पहली बार पेरू के एक मछुआरे ने करीब 100 साल पहले देखा था। उन्होंने देखा था कि समुद्र के एक निश्चित हिस्से में पानी गर्म से ठंडा और ठंडे से गर्म हो रहा है।
लेकिन कुछ समय बाद ही पेरू वासियों ने ये नोटिस करना शुरू कर दिया कि यह एल निनो न केवल पानी के तापमान को प्रभावित कर रहा है बल्कि भारी वर्षा और समुद्र के साथ साथ तटीय वन्य जीवों को भी प्रभावित कर रहा है। पेरू के लोगों को शुरू में लगा कि ऐसा सिर्फ उनके देश में ही हो रहा है क्योंकि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन उन्होंने देखा कि जहाँ पेरू में भारी बारिश हो रही है वहीं 15,000 किलोमीटर दूर ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत, बांग्लादेश में इसके विपरीत हो रहा है। यानी भयंकर सूखा चल रहा था।
विश्व के इतिहास पर नज़र डालें तो पता चलता है कि 1895 से 1896 तक दक्षिण एशिया में बारिश की कमी के कारण सूखा पड़ गया था, जिससे 50 लाख लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा हमारे दक्षिण एशिया में कुछ साल बहुत भारी बारिश और कुछ साल भयंकर सूखे में भी बीते थे। इतना ही नहीं सैकड़ों वर्ष पहले से ही उत्तर और दक्षिण अमेरिका की जलवायु ऑस्ट्रेलिया और हमारे दक्षिण एशिया पर सीधा प्रभाव पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि पहले El NINO को थियोरेटिकल रूप से ही जानते थे।
लेकिन हकीकत में इसके नतीजे 1982 में 175 देशों के मौसम को प्रभावित करने के बाद साभी को पता चला था। इसके बाद भी El NINO ने दुनिया को कई बार प्रभावित किया है। लेकिन इससे पहले हम जान ले कि एल निनो क्या है और यह कैसे होता है? पिछले कुछ महीनों से दुनिया भर के विभिन्न विशेषज्ञों को पता चला है कि El NINO एक बार फिर प्रशांत महासागर में घटित हो रहा है, लेकिन अब ये काफी बढ़ गया है। वैज्ञानिक का मानना है कि इस साल के कुछ महीनों के बाद एल निनो अपने चरम पर पहुँच सकता है।
इससे भी अधिक भयावह बात ये है की El NINO अकेले नहीं आ रहा है बल्कि लानीना भी आ रहा है। समुद्र की तापमान और वातावरण में निरंतर परिवर्तन के कारण ये अलनीनो और लेनिनार हर कुछ वर्षों में होते है। बहरहाल आइये कुछ और डरावने तथ्यों के बारे में जानते है इन कुछ महीनों के बाद क्या होने वाला है। इतिहास की सबसे गर्मी हमारा इंतज़ार कर रही है। पूरी दुनिया गर्म हो जाएगी, विश्व के कुछ क्षेत्र जल कर राख हो जायेंगे। भारी बारिश से कुछ इलाकों में बाढ़ आ जाएगी और हम दक्षिण एशिया के लोग अत्यधिक तापमान के साथ साथ सुखे को भी देखेंगे।
ये एल निनो केवल प्राकृतिक आपदाओं तक ही सीमित नहीं रहेगा। ये El NINO हमारी पूरी विश्व की अर्थव्यवस्था को भी नष्ट कर देगा। जैसे 1997 से 1998 के बीच हुए एल निनो के कारण विश्व अर्थव्यवस्था को लगभग 5.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। 1982 से 1983 तक एलनिनो के कारण दुनिया भर में 4.1 ट्रिलियन डॉलर की क्षति हुई थी। लेकिन आज के विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष आने वाला एल निनो दुनिया भर में महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतें बढ़ा देगा। विभिन्न आपदाओं के कारण पर्यटक स्थलों पर जाना कम कर देंगे।
हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार इक्कीसवीं सदी में आने वाले इन सभी एल निनों से पूरी दुनिया में लगभग 84 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा, जिसका असर कुछ महीनों बाद दिखना शुरू हो जाएगा। वैज्ञानिक का भी मानना है कि 2024 में सबसे बड़ी सुनामी आने की आशंका है। जो कुछ हमारा इंतज़ार कर रहा है उसका सामना करने के लिए हमारे पास शायद ज्यादा समय नहीं है। इसलिए हम सभी को पहले से ही तैयार रहना चाहिए। ताकि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से कम से कम खुद को बचा सके।
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